धर्म

स्वामी राजदास : मुक्तिमार्ग

पांच महाभूतों से बनी जो प्रकृति हमें दिखाई देती है, उसे व्यक्त कहते हैं और यही इस व्यक्त प्रकृति का मूल कारण है। जहां यह प्रकृति बीज रूप में विद्यमान होती है, उसको अव्यक्त कहते हैं। ऐसा नहीं है कि उस अव्यक्त से परे और कुछ भी नहीं है। इससे परे एक सनातन अव्यक्त भाव और भी है। यह ऐसा भाव है जो हमेशा एक जैसा ही रहता है। वह कुछ और नहीं बल्कि परमात्मा ही है।

वह सनातन अव्यक्त भाव कभी भी नष्ट नहीं होता। सारी सृष्टि और सभी भूतों के नाश हो जाने पर भी वह ज्यों का त्यों बना रहता है क्योंकि यह अनश्वर भाव है। योगी लोग उसी भाव को अपने भीतर अनुभव करते हैं। इसी सनातन अव्यक्त भाव में बने रहना मुक्ति है और इसी भाव को अनुभव करने की साधना भक्ति है।

जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

Related posts

27 July 2024 Ka Rashifal : सावन के पहले शनिवार को इन 5 राशियों को जबर्दस्‍त लाभ कराएंगे शनिदेव, जानें 12 राशियों का राशिफल

जिंदगी वास्तव में प्रभु का उत्तम उपहार है

स्वामी राजदास : अमृत की तालाश

Jeewan Aadhar Editor Desk