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नोटबंदी के ड़र से नहीं उभर पाया बैंक

नई दिल्ली
नोटबंदी के चलते इकॉनमी पर मंदी का असर अभी जारी रह सकता है, यह आशंका जताई है सार्वजनिक क्षेत्र में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने। इसके साथ ही बैंक ने इससे अपने कारोबार पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका जताई।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। इसके बाद 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे।

बैंक ने कहा कि अभी इकॉनमी और बैंकिंग सेक्टर पर नोटबंदी के असर का आकलन नहीं किया जा सका है। निवेशकों के समक्ष रखे गए प्रिलिमिनरी प्लेस्ड डॉक्युमेंट्स में बैंक ने कहा कि नोटबंदी का असर अभी अनिश्चित है, लेकिन इससे बैंक के कारोबार पर विपरीत असर पड़ने की आशंका है। बैंक ने कहा कि इसके चलते ऑपरेशंस और फाइनैंशल कंडिशन पर असर होगा।

बैंक ने कहा, ‘नोटबंदी के चलते इकॉनमी में मंदी का असर जारी रह सकता है और इससे बैंक का कारोबार भी प्रभावित होने की आशंका है।’ प्रिलिमिनरी प्लेस्ड डॉक्युमेंट्स में बैंक भविष्य में कारोबारी खतरों और अनिश्चितता के बारे में जानकारी देता है। हालांकि बैंक की फाइनैंशल परफॉर्मेंस इस भविष्यवाणी से अलग भी हो सकती है। नोटबंदी के बाद बैंकों के बचत और चालू खातों में जमा होने वाली राशि में बड़ा इजाफा हुआ है।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों में जमा राशि 4.10 पर्सेंट के मुकाबले 17 फरवरी, 2017 तक बढ़कर 39.30 पर्सेंट तक पहुंच गई थी। इसके बाद बैंक ने डिपॉजिट्स की ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लिया। एसबीआई ने कहा कि जमा की ब्याज दरों में कटौती के चलते कमर्शल बैंकों और अन्य फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस से कड़ी चुनौती मिल सकती है।

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