धर्म

स्वामी सदानंद के प्रवचनों से—253

सभी गोपियाँ यशोदा माँ के पास कन्हैया की शिकायत करने के लिए आती है और कहती हैं, मैया आपका लाड़ला बहुत बिगड़ गया है, पहले तो घरों में जाकर मक्खन चुराकर ही खाता था,लेकिन अब तो ग्वालों को साथ लेकर लूट-खसोट भी करता हैं और दुध-दही,मक्खन से भरी मटकियों को कंकड़ मार कर फोड़ देता हैं। माँ सुन लो यदि आपने कन्हैया को ऐसे ही छोड़ दिया, तो हम इसकी शिकायत राजा कंस के पास करने के लिए जायेंगी, फिर आप हमें दोषी मत ठहराना।

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जब गोपियाँ माँ से ऐसा कह रही थी उस समय एक ग्वाले ने यह सब सुन लिया, वह दौड़ा दौड़ा कृष्ण के पास आया और बोला कन्हैया सारी गापियाँ बहुत गुस्से में है और वे कंस के पास अपनी शिकायत करने के लिए जा रही हैं। कोई उपाय सोचो, वरना बहुत भारी मुसीबत में फंस जायेंगे।
कन्हैया ने कहा, अरे दोस्तो घबराने की कोई बात नहीं है, जैसा मैं कहूँ वैसा करो। देखो,तुम मेरे सारे कपड़े फाड़ दो।
दोस्त-कपड़े तो बिलकुल नए हैं, कान्हा।
कृष्ण,कोई बात नहीं, कपड़े और बन जायेंगे। जल्दी करो,वरना राजा के चंगुल में फंस जायेंगे।
सबने मिलकर कृष्ण के कपड़े फाड़ डाले। कृष्ण ने कहा, अब मेरे हाथ-पाँव,सिर आदि पर पट्टिया बांध दो। पट्टिया बाँध दी।
कृष्ण-देखो दोस्तो अब अपनी अपनी आँखों में थोड़ा थोड़ा सरसों का तेल लगाओ। सरसो का तेल आँखों में लगते ही आंसू बहने लगते हैं। कन्हैया ने भी अपनी आँखों में तेल लगाया। सबके आंसू बह रहे हैं तब कृष्ण ने कहा, मुझे कन्धें पर उठाओ और माँ के पास ले चलो। कृष्ण ने सबको समझाया कि तुम्हारा काम केवल रोना है,बोलना मत,माँ से बातें तो मैं करूगां। सभी माँ के पास पहुँच गए।
माँ ने देखा, कन्हैया के शरीर पर जगह जगह पट्टी बँधी है, तो देखकर स्तब्ध रह गई और पूछा, क्या हुआ मेरे कान्हा को? किसने मारा हैं इसको? अरे बच्चों तुम बताते क्यों नहीं? ये सब कैसे हुआ?
माँ कृष्ण को छाती से लगाती है और पूछती है,बेटा ये सब तो चुप हैं, तू ही बता,किसने मारा है तुझे,इतनी बेदर्दी से?
अब रोता रोता कन्हैया कह रहा है, मैया सबसे पहले मुझे यह बताओ कि मेरी माँ कौन हैं? मैं किसका बेटा हूं? तुम मेरी माँ नहीं हो, यह बात आज ही बलराम ने मुझे बताई है माँ।
कृष्ण-मैया बलराम भैया कहते हैं, नन्द बाबा गोरे हैं माँ भी गोरी हैं,परन्तु तू काला क्यों हुआ? कन्हैया यदि तू इनका बेटा होता तो तू भी गोरा होता,अत: साफ जाहिर है कि तू इनका बेटा नहीं, तेरे माँ बाप कोई और हैं। और हे मैया भैया ने कहा, तुम्हारा बाप रात को चुपके चुपके चोर की तरह यहाँ आया और माँ यशोदा को तुम्हें बेचकर चला गया। तुम्हारा बाप चोर हैं, इसीलिए कान्हा तुम्हें मक्खन चुरा चुराकर खाने की आदत हैं अत: मैया यह लो अपनी लाठी और कमरिया। मैं आज से गाय चराने नहीं जाऊँगा।
कान्हा ऐसे कहकर रूठ गया। माँ ने गोद में उठाया,छाती से लगाया,माथा चूमा,प्यार किया। माँ पट्टी खोल कर देखने लगी कि कहाँ चोट लगी हैं ? तो कन्हैया ने मुस्कुरा कर कहा,माँ अब दर्द बिल्कुल ठीक हो गया हैं। आपने मुझको इतना प्यार किया कि घाव भी स्वत: भर गए। कृष्ण ने ग्वालों को कहा, मित्रो सब पट्टी खोल दो। अब मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हैं।
यह तो माँ की डांट से बचने के लिए नाटक था। ग्वालों ने सब पट्टियाँ खोल दी और कान्हा ग्वाल बालों के साथ नाचने लगे। इस प्रकार लीलाओं द्वारा सबको आनन्दित कर रहे हैं।

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