अजमेर,
अजमेर शरीफ दरगाह परिसर में बड़ा विवाद पैदा हो गया है। दरगाह दीवान द्वारा कुल की रस्म के लिए अपने बेटे को उत्तराधिकारी घोषित करने पर खादिमों ने विरोध किया। जिसके बाद उन्हें जन्नती दरवाजे के अंदर नहीं जाने दिया गया। खादिमों के इस रवैये पर नाराज दीवान भी अपने बेटे के साथ जन्नती दरवाजे के बाहर बैठ गए और सुबह तड़के प्रशासनिक अधिकारियों को पहुंचकर उन्हें मनाना पड़ा और विवाद खत्म हुआ।
दरअसल, दरगाह दीवान ने जैसे ही अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की, इसका विरोध होने लगा। अंजुमन ने दरगाह दीवान के बेटे को बाहर कर खुद ही कुल की रस्म कर दी। इससे नाराज होकर दीवान और उसके बेटे दरगाह में धरने पर बैठ गए। विवाद बढ़ता देख बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासन ने पहुंचकर हालात को संभाला।
गौरतलब है कि अजमेर शरीफ में सालाना उर्स चल रहा है, जहां लाखों की संख्या में जायरीन पहुंच रहे हैं। सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज के 806वें उर्स के मौके पर ख्वाजा साहब की पवित्र मजार पर होने वाली गुस्ल के रस्म को दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन करते आए हैं।
लेकिन इस बार रस्म को लेकर विवाद की स्थति पैदा हो गई। दीवान ने अपने बेटे से ये रस्म कराना चाही तो दरगाह के दूसरे लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया। दरगाह के इतिहास में पहली बार हुआ है कि रात 2 बजे से सुबह 5 बजे तक दीवान और उनके बेटे नसीरुद्दीन को जन्नती दरवाजे के बाहर बैठना पड़ा।
उत्तराधिकारी की घोषणा को दरगाह की परंपराओं के विपरीत बताते हुए ग़ुस्ल की रस्म में दीवान के पुत्र नसीरुदीन को शामिल नहीं होने दिया गया। इस पर मौजूदा दीवान आबेदीन ने अपने बेटे के बिना आस्ताना शरीफ में प्रवेश नहीं करने की शर्त रख दी। दीवान की इस हट पर भी खादिम नहीं माने और जन्नती दरवाजे को बंद कर दिया।
दीवान को एंट्री न मिलने पर वो भी नाराज हो गए और अपने बेटे के साथ जन्नती दरवाजे के बाहर धरने पर बैठ गए। विवाद बढ़ने के बाद पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ा। तड़के सुबह करीब करीब 4.30 बजे जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने दीवान जैनुल आबेदीन को समझाया। इसके बाद दीवान अपने बेटे के साथ चले गए और खादिमों ने जन्नती दरवाजा खोल दिया।