जयपुर,
बेरोजगारी की हालत ऐसी है कि पोस्ट ग्रेजुएशन और ग्रेजुएशन करने वाले लोग भी भीख मांग रहे हैं। राजस्थान सरकार ने भिखारी उन्मूलन एवं पुनर्वास कानून बनाया है, जिसके तहत जयपुर में भिखारियों का सर्वे शुरू किया गया है। इस सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
दरअसल, इस सर्वे में जयपुर शहर में कुछ भिखारी एमए और एमकॉम किए हुए हैं तो कुछ बीए और बीकॉम किए हुए हैं। इन भिखारियों का कहना है कि अगर उन्हें कोई काम मिलता है तो वह भीख मांगना छोड़ कर काम करने के लिए तैयार हैं।
राजस्थान के ही गोविंदगढ़ के रहने वाले 34 साल के पवन एमकॉम करने के बाद अजमेर रोड पर 200 फीट बाईपास पर भीख मांग रहे हैं। ये एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे लेकिन काम बंद होने की वजह से खाने के लिए चौराहे पर बैठना शुरू कर दिया। शादीशुदा नहीं होने की वजह से कहीं कोई काम के लिए ले जाता है तो चले जाते हैं वरना भीख मांग कर खा लेते हैं।
इसी तरह से 38 साल का मुकेश ने एमए तक पढ़ाई की है जो झुंझुनू जिले के डूंडलोद का रहने वाला है और जयपुर शहर के नाहरगढ़ थाना क्षेत्र में छोटी चौपड़ पर भीख मांग कर जिंदगी गुजर बसर करता है। वह भी अविवाहित है और फुटपाथ पर सोता है।
इसी तरह से एमकॉम तक पढ़ाई करने वाले जगदीश गुप्ता, ग्रेजुएशन करने वाले रमेश और शैलेश हैं जो जयपुर में भीख मांगकर गुजर-बसर करते हैं। जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के तहत अलग-अलग थानों के इंस्पेक्टरों ने शहर भर में सर्वे किया, जहां पर 1162 भिखारी भीख मांगते हुए मिले। इनमें से 419 भिखारियों ने कहा कि अगर उन्हें कोई काम मिलता है तो वह भीख मांगना छोड़ कर काम करने के लिए तैयार हैं।
हालांकि इनमें से 116 भिखारियों ने कहा कि वह कोई और काम नहीं करना चाहते हैं बल्कि भीख ही मांगना चाहते हैं। जयपुर पुलिस के इस सर्वे में कई कम उम्र के भिखारी मिले, जिनमें से 27 ने कहा कि उन्हें पढ़ने की इच्छा है। अगर सरकार मदद करे तो वह भीख मांगना छोड़ कर पढ़ाई करना चाहते हैं। ऐसे कुछ भिखारियों का पुनर्वास जयपुर पुलिस ने कर दिया है।
जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर अजय पाल लांबा ने बताया कि राजस्थान सरकार इन भिखारियों का पुनर्वास करना चाहती है, जिसके लिए हमारे पुलिस कांस्टेबल सर्वे कर रहे हैं। कोरोना की वजह से इसमें थोड़ी कमी आई है क्योंकि हमारे कुछ पुलिस वाले कोरोना पॉजिटिव निकल गए लेकिन हम लोग जल्द सर्वे करेंगे। जो भिखारी काम करना चाहते हैं या पढ़ना चाहते हैं उनकी मदद करेंगे।
अजय पाल लांबा ने यह भी कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन और ग्रेजुएशन करने के बाद भीख मांगने वाले भिखारियों पर जानकारी इकट्ठा की जा रही है कि आखिर उन्हें किन परिस्थितियों में यह काम करना पड़ रहा है।
बता दें कि राजस्थान सरकार ने सोमवार को विधानसभा में भिखारी उन्मूलन एवं पुनर्वास बिल पास कर दिया है। सामाजिक संगठनों के जरिए भिखारियों के लिए पुनर्वास केंद्र बनाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राजस्थान को भिखारी मुक्त प्रदेश बनाना है।