चंडीगढ़,
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित 34 आरोपियों को सीबीआई की पचंकूला कोर्ट ने 19 अप्रैल को हाजिर होने के समन जारी किए है। मानेसर 900 एकड़ लैंड स्केम मामले में जारी समन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है।
सीबीआई द्वारा 15 अगस्त 2015 को भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 465, 467, 471, 120बी व पीसी अधिनियम 1998 के तहत मानेसर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था। मामले में एक अभियुक्त गौरव चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका निरस्त होने व एम्एल तायल द्वारा अग्रिम जमानत याचिका विद ड्रा करने के बाद अब कानूनी परेशानियां बढ़ गई है। कानूनी समीक्षकों के अनुसार गैर जमानती धाराओं के होने के कारण सम्बंधित अदालत में पेश होने पर जमानत मिलने में काफी मुश्किलें आ सकती है। कानूनी जानकार मानते है कि 19 अप्रैल के लिए अदालत द्वारा जिन दोषियों को सम्मन रिसीव हो चुके है वह कोर्ट में आने के लिए पाबंध है। अगर वह लोग सम्मन रिसीव करने के बाद भी नहीं आते तो गैर जमानती धाराएं होने के कारण अदालत उनके गैर जमानती वारंट भी जारी कर सकती है। हुडडा के अलावा एमएल तायल, छतर सिंह, एस एस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत सहित कई बिल्डरों का नाम आया है।
क्या है मामला
मानेसर के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश यादव ने इस घोटाले के बारे में शिकायत की थी। बाद में राज्य सरकार की सिफारिश पर यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। शिकायतकर्ता के मुताबिक तत्कालीन सरकार के अफसरों और बिल्डरों के बीच गठजोड़ रहा है। इसी के चलते उन्होंने मानेसर, नौरंगपुर व लखनौला गांव की करीब 912 एकड़ जमीन को अधिग्रहण करने के लिये सेक्टर 4, 6 व 9 के तहत नोटिस जारी किये गये। इसके बाद बिल्डर्स ने करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दामों में खरीद ली और बाद में सरकार से उसे रिलीज करा लिया। कांग्रेस लगातार इस कार्रवाई को सियासी रंजिश का नाम दे रही है।