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खातों की कम जानकारी देने वाले करदाता जांच के दायरे में

नई दिल्ली
आयकर विभाग ने सत्यापन के लिए 5.68 लाख नए मामलों की पहचान की है, जिसमें 1.58 लाख करदाता ऐसे शामिल हैं, जिन्होंने पिछले दिनों अपने खातों की आंशिक घोषणा की थी। नोटबंदी के बाद इंकम टैक्स विभाग को बैंकों द्वारा दायर वित्तीय लेनदेन के बयान (एसएफटी) सहित विभिन्न स्रोतों से कई अहम जानकारी मिली। आईटी विभाग ने कहा कि इंकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1.58 लाख करदाताओं से संबंधित 3.71 लाख नए खातों की पहचान की है, जिन्होंने पहले अपने अकाउंट के बारे में जानकारी दी थी। पहले 18 लाख मामलों के अलावा, 5.68 लाख नए मामलों की पहचान ई-वेरिफेकेशन से की गई है।

इंकम टैक्स डिपार्टमेंट पहले से उप्लब्ध डेटा की मदद से विश्लेषण कर रहा है। इस डेटा की मदद से ई-वेरिफिकेशन के लिए नए मामलों की पहचान हो चुकी है। 31 जनवरी को आई-टी विभाग द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के तहत 17.92 लाख लोगों को एसएमएस और ई-मेल भेजे गए हैं, जिन्होंने 10 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच 5 लाख और उससे ज्यादा पैसे जमा किए हैं। इनमें से 9 .72 लाख लोगों ने नकदी जमा के स्रोतों पर जवाब दिया है। विभाग ने उन मामलों में वेरिफिकेशन बंद करने का निर्णय लिया है, जहां नकदी के स्रोत का पूरा ब्यौरा था।

आयकर विभाग ने कहा, ‘करदाताओं ने करीब 2.8 9 लाख करोड़ रुपये के नकदी जमा से जुड़े 13.33 लाख खातों के लिए जवाब दे दिए हैं। ऑनलाइन प्रतिक्रियाओं का आंकलन कर खातों की सही जानकारी देने वालों के मामलों में आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। विभाग ने दो विशेष डेटा ऐनालिटिकल एजेंसियों और एक व्यावसायिक प्रक्रिया प्रबंधन एजेंसी को बड़ी मात्रा में नकद जमा के डेटा का विश्लेषण करने, करदाताओं की अनुपालन स्थिति और रिपोर्टिंग संस्थाओं का पता लगाने की जिम्मेदारी दी है। नकदी जमा के सोर्स के रूप में नकद बिक्री का दावा करने वाले पेट्रोल पंप व्यापारियों और संपत्ति खरीददारों जैसे व्यापारों की विस्तृत जांच की जाएगी, जिनका कैश सेल उनके नकद जमा की तुलना में ज्यादा पाया गया है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk