नई दिल्ली,
अदालतों को 12 साल तक की आयु की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने की इजाजत देने वाला अध्यादेश बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा सात वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करता है। इसके लिए अधिकतम सजा आजीवन कारावास है। दिसम्बर 2012 में निर्भया मामले के बाद आपराधिक कानूनों में संशोधन किया गया था। इसके तहत किसी भी महिला से बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा सात वर्ष की कठोर कारावास रखी गई थी जो कि बढ़ाकर आजीवन कारावास की जा सकती थी।
केंद्रीय कैबिनेट दी अध्यादेश को मंजूरी
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी गई। सरकार ने देश के कुछ हिस्सों में बलात्कार की घटनाओं पर गंभीर संज्ञान लिया है और ऐसी घटनाओं पर गहरा रोष व्यक्त किया है केंद्रीय कैबिनेट द्वारा शनिवार को मंजूर किए गए आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश के अनुसार अब किसी महिला से बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा 10 वर्ष की कठोर कारावास होगी जो ‘‘आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है।’’ आजीवन कारावास का मतलब है कि दोषी को उसके ‘‘स्वभाविक जीवन’’ तक जेल से रिहा नहीं किया जाएगा। जम्मू कश्मीर के कठुआ और गुजरात के सूरत जिले में हाल ही में लड़कियों से बलात्कार और हत्या की घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह कदम उठाया गया है।
अध्यादेश जारी होने के बाद भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य अधिनियम, दंड प्रक्रिया संहिता और पोक्सो कानून भी संशोधित हो जाएंगे ताकि नए प्रावधानों के लिए मार्ग प्रशस्त हो सके।
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