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एक नियम से 90 प्रतिशत काजू के कारखाने हुए बंद, 3 लाख से ज्यादा कर्मचा​री हुए बेरोजगार

कोल्लम,
केरल में काजू उद्योग ने संकट का सामना कर रहा है। इसके चलते 90 प्रतिशत से अधिक कारखाने बंद हो गए है। इससे लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।
केरल के कोल्लम जिले को काजू प्रसंस्करण और निर्यात के मुख्यालय के रूप में जाना जाता है। यहां पर 700 से अधिक संख्या में कारखाने स्थापित थे, लेकिन वर्तमान समय में केवल 10 कारखाने ही चल रहे है। इस क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या लगभग 300000 है।
ये कारखाने जिले में कई महिलाओं के लिए आजीविका का स्रोत थे। अब बेरोजगार हुई इन महिलाओं का कहना है कि यदि इकाइयों को फिर से खोल दिया जाता है तो वे अपनी कम मजदूरी पर समझौता करने के लिए तैयार हैं।
एक काजू प्रसंस्करण इकाई की एक पूर्व कर्मचारी सुधामा ने बताया, “मुझे हर महीने करीब 3,000 रुपये मिलते थे। अब बेरोजगार हूं। हमें आशा है कि कंपनी फिर से खुल जाएगी। मालिकों ने कहा कि वे केरल सरकार द्वारा निर्देशित मजदूरी में वृद्धि के कारण संकट में थे। हम कम मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हैं।”
कलुथथुकल में एक काजू प्रसंस्करण इकाई में एक अन्य पूर्व कर्मचारी गिरिजा ने कहा, “मैं छीलने वाले अनुभाग में काम करती थी। हमें जिन काजू का संसाधित किया जाता था, उनके वजन के अनुसार हमें मजदूरी मिलती थी। जिसे 16 रुपए प्रति किग्रा से बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किलो कर दिया गया। हमारी कंपनी में 640 से अधिक कर्मचारी थे।”
इस बीच, भारतीय राष्ट्रीय व्यापार संघ कांग्रेस (आईएनटीयूसी) ने राज्य सरकार को संकट के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। आईएनटीयूसी अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन ने कहा,”पिछले छह महीनों में, केरल में काजू कारखानों को उनके मालिकों ने सरकार की गलत नीतियों के कारण बंद कर दिया। काजू उद्योग कोल्लम के आसपास 3 लाख से अधिक लोगों को नौकरी प्रदान करता है। कुछ लोग अनावश्यक अनुपालन और औपचारिकताओं को लागू करके इस उद्योग को खराब करना चाहते हैं।”
“चंद्रशेखर ने बताया कि काजू उद्योगों को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने के लिए एक नई प्रवृत्ति आई है। व्यापार संघ और आम लोगों के बार-बार अनुरोधों के बावजूद सरकार से कोई सुरक्षा नहीं है। (एएनआई)

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