हिसार

थोड़े समय में ही आदमपुर क्षेत्र में घटने लगा डा. चंद्रा का क्रेज

आदमपुर (अग्रवाल)
आदमपुर क्षेत्र में राज्ससभा सांसद डा. सुभाष चंद्रा का क्रेज ग्राफ काफी तेज गति से डाउन होने लगा है। यही कारण है कि 4 मई को जब वे राजकीय स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे तो वहां नाममात्र ही लोग उपस्थित थे, जबकि इससे जब उन्होंने इस क्षेत्र में पदार्पण किया था तो उनके स्वागत में अच्छी खासी भीड़ जुड़ जाती थी और क्षेत्र में डा. सुभाष चंद्रा को एक नए भविष्य के रुप में देखा जा रहा था। माना जा रहा था कि चौ. भजनलाल के जाने के बाद जो स्थान रिक्त हुआ है उसे डा.सुभाष चंद्रा काफी तेजी से भर देंगे लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। डा. सुभाष चंद्रा एक विशेष घेरे तक ही सीमित होकर रह गए है।
व्यापारियों की दूरी
व्यापारी वर्ग से होने के बावजूद आदमपुर के व्यापारी लगातार डा.सुभाष चंद्रा से दूर होते जा रहे है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके आदमपुर आगमन के समय व्यापार मंडल, किरयाणा एसोसिएशन, मिल एसोसिएशन से लेकर अधिकतर व्यापारिक एसोसिएशन के पदाधिकारी बहुत कम दिखाई देने लगे है। आदमपुर शहर में भी उनकी टीम कोई विशेष जनाधार नहीं बना पाई है। इसके चलते उनके आदमपुर आने या जाने का लोगों को ज्यादा पता नहीं चल पाता।
गांवों में बना क्रेज
आदमपुर शहर में हालांकि डा. सुभाष चंद्रा का क्रेज तेजी से गिरा हो, लेकिन गांवोें में उनका क्रेज अभी कुछ टिका हुआ है। डा. चंद्रा के प्रति ग्रामीण तबको के युवाओं में उत्साह है लेकिन युवाओं से लंबे समय तक दूरी बनाकर रखना उनको भी अखर रहा है। डा.चंद्रा की खेल अकादमी युवाओं को काफी हद तक अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।
शहर में बनानी होगी अलग टीम
आदमपुर क्षेत्र में सफलता के लिए आदमपुर शहर में टीम का सक्रिय होना बेहद जरुरी होता है। इसका मुख्य कारण आदमपुर क्षेत्र के विकास का मुख्यबिंदु शहरी क्षेत्र ही रहा है। इतिहास गवाह है जिस भी व्यक्ति ने शहरी क्षेत्र की अनदेखी की है वह इस क्षेत्र में अधिक समय तक अपने क्रेज को बनाए रखने में सफल नहीं रह पाया है। पिछले कुछ ही समय में आदमपुर क्षेत्र में करोड़ों रुपए का विकास कार्य करवाने के बावजूद भी डा.सुभाष चंद्रा के गिरते क्रेज का कारण शहरी लोगों का इनके कार्यक्रमों से दूरी बनाना ही है।
बदलनी होगी रणनीति
डा. सुभाष चंद्रा गोद लिए 6 गांवों की तस्वीर बदलना चाहते है। उन्हें इस तस्वीर को बनाने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अनाज मंडी और शहरी क्षेत्र के लोगों को अपनी टीम में शामिल करना होगा। जब तक अनाज मंडी के व्यापारी उनके साथ खुलकर सहयोग नहीं करेंगे—गांवों की तस्वीर बदलने में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

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