हिसार,
सोशल मीडिया में निजी स्कूलों में जून माह के अवकाश के दौरान फीस न देने के हाईकोर्ट के आदेश की सूचना बड़ी तेजी से वायरल हो रही है। वायरल हो रही ये सूचना पूरी तरह से निराधार है।
दरअलस, इस सूचना के वायरल होने के दो दिन बाद पाकिस्तान के द हाईकोर्ट आॅफ सिंध, कराची के आदेश की एक पीडीएफ फाइल भी सोशल मीडिया में आ गई। इस फाइल को वायरल करने वालों का दावा है कि निजी स्कूलों को जून माह के अवकाश के दौरान फीस न देने के आदेश पाकिस्तान की द हाईकोर्ट आॅफ सिंध, कराची के है। कराची में ये आदेश 2016 में दिए गए थे।
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मामला चाहे जो भी, लेकिन सोशल मीडिया की इस सूचना ने आम अभिभावक के मन की टीस को अवश्य उजागर किया। अभिभावक कहने लगे है कि जब स्कूल जून माह में अवकाश रखते है तो बच्चों से फीस किस बात की वसूलते है। स्कूल बच्चों को शिक्षा देने के एवज में फीस लेता है लेकिन जून माह के दौरान पूरे माह अवकाश रहता है तो ऐसे में वे पूरी फीस कैसे वसूल सकते है।
नीजि स्कूलों का कहना है वे इस दौरान वे अपने स्टाफ को वेतन देते है। जब वे स्टाफ सदस्यों को बिना काम किए वेतन देते है तो बच्चों से फीस लेने का भी उनका हक है। स्कूल वाले चाहे कुछ भी कहे—अब सोशल मीडिया पर बात निकली है तो ये बात दूर तक जायेगी। अभिभावक जिस तरह से इसे शेयर कर रहे है—इससे साफ है कि वे स्कूलों की इस फीस वसूली के हक में नहीं है। इसे भविष्य में अभिभावाकों द्वारा इसका खुलकर विरोध किए जाने की नींव के रुप में देखा जा सकता है।