धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—631

एक राजा ने अपने सुनार को आदेश दिया कि वह एक ऐसी अंगूठी बनाए जिसमें कुछ ऐसा लिखा हो जो राजा को सुख में अहंकार न करने दे और दुःख में उसे प्रेरणा दे। सुनार को अंगूठी बनाना तो आसान लगा, लेकिन उस पर लिखने के लिए उपयुक्त शब्द ढूँढना कठिन था। अंततः वह एक संत के पास गया और उनसे सहायता मांगी। संत ने एक वाक्य दिया जो राजा की समस्या का समाधान था।

संत ने कहा: “अंगूठी पर इस वाक्य की खुदाई करो: ‘यह समय भी गुजर जाएगा।’ जब राजा विजय की घड़ियों में इसे देखेगा, तो यह उसके घमंड को कम कर देगा। जब निराशा के पलों में उसकी नज़र इस पर पड़ेगी, तो यह उसमें आशा का संचार करेगा।”

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जीवन में सुख-दुख दोनों आते-जाते रहते हैं। हमें न तो सुख में घमंड करना चाहिए और न ही दुख में हार माननी चाहिए। जैसे सिक्के को सौ बार उछालने पर चित और पट की संभावना लगभग बराबर होती है, वैसे ही जीवन में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं। इन्हें स्वीकार करना ही संतुलित जीवन का संकेत है।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—276

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 741

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 710