चण्डीगढ़,
भारत सरकार ने ठोस कचरे एवं पशुओं के मलमूत्र से खाद तथा बायोगैस ईंधन बनाने के लिए एक नई योजना क्रियांवित की है और इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढावा देना, रोजगार के अवसर बढाना तथा गांव में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार करना है।
यह योजना गांव के विकास एवं प्रगति में एक मील का पत्थर साबित होगी। इस योजना को सफल बनाने में लोग अपना पूर्ण सहयोग दें ताकि यह योजना फलीभूत हो सके। गोबरधन योजना के तहत गांव एक मॉडल के रुप में विकसित होंगे, गांव को आर्थिक मजबूती मिलेगी।
गोबरधन योजना में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अनेक संभावनाएं हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गांव की स्वच्छता व गोबर से बायोगैस ऊर्जा का उत्पादन करना है। विश्व में सर्वाधिक 300 मिलियन पशुओं की संख्या भारत में है, जिनसे प्रतिदिन 3 मिलियन मलमूत्र अथवा गोबर मिलता है। कुछ यूरोपियन देश और चीन ने पशुओं से प्राप्त गोबर का सदुपयोग करके बायोगैस जैसी ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया है। इसी अवधारणा को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में गेल्वैनिक ऑर्गेनिक बायो एग्रो रिसोर्सिज (गोबर धन) बनाने की बात की थी। यह योजना किसानों व पशुपालकों की आय बढ़ाने में काफी हद तक मददगार होगी। गोबर से बेहतर कम्पोस्ट खाद भी बन पाएगी और इससे गैस का भी उत्पादन होगा जो रसोईघरों व अन्य कार्याें में काम आएगी। प्राप्त बायो ऊर्जा से जहां एक ओर बिजली बचाई जा सकेगी, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले लोगों को धुएं वाले ईंधन से भी छुटकारा मिलेगा और यह ऊर्जा के बड़े उत्पादन का एक बेहतर विकल्प है।
सरकार गोबर से बायो-गैस पैदा करने के लिए जरूरी व्यवस्था कर रही है। सरकार उन ग्राम पंचायतों की मदद कर रही है जो गांव में गैस संयंत्र लगाना चाहती है। गोवर्धन यानी गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो एग्रो रिसोर्स धन स्कीम का मकसद गोबर से गैस तैयार करना है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों के लिए कचरे से आय पैदा करके कचरे को सोना में बदलना है।
इस योजना के तहत जिला सिरसा के गांव रत्ताखेड़ा का चयन किया गया है। गोबर से बायोगैस प्लांट व्यक्तिगत, सामुदायिक, सैल्फ हैल्प ग्रुप, या गऊशाला जैसे एन.जी.ओ. के स्तर पर स्थापित किए जा सकते हैं। प्लांट के लिए टैक्नीकल एक्सपर्ट की भी सहायता ली जाएगी।