जो लोग चौबीसों घंटे, अपने मोबाइल फ़ोन से चिपके रहते हैं, ऐसे लोगों के लिए एक नए शब्द का जन्म हुआ है। और ये शब्द है, ‘Phubbing’। आपमें से बहुत सारे लोगों ने शायद पहली बार ‘Phubbing’ शब्द सुना होगा। इसलिए पहले आपको इसका मतलब बता देते हैं। मान लीजिए, आप किसी दोस्त, परिवार के किसी सदस्य या फिर अपने Office में किसी से बात कर रहे हैं और अचानक आपके फोन पर एक Message आता है, और आप उस Message का जवाब लिखने लगते हैं। अपना Social Media Account चेक करने लगते हैं और सामने वाले व्यक्ति को नज़रअंदाज़ करते हुए अपने फोन को प्राथमिकता देते हैं तो इसे ‘Phubbing’ कहा जाता है।
हो सकता है, ये शब्द आपकी रोज़मर्रा की डिक्शनरी में ना हो लेकिन, इतना तो तय है, कि ‘Phubbing’ आपकी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन चुका है। आज आपको खुद सोचना है, कि आप दिन में कितनी बार किसी से बातचीत के दौरान फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं। कभी Facebook देख लिया, कभी अपना Instagram Account चेक करने लगे, कभी Tweet करने लगे या कभी किसी का फोन Receive कर लिया। ‘Phubbing’ शब्द सुनने में जितना अच्छा लगता है, उसका असर उतना ही बुरा है। आज आपको इसके बारे में जानना चाहिए।
ये शब्द फोन और Snub यानी अपमान जैसे शब्दों से मिलकर बना है। यानी इसका मतलब है फोन के ज़रिए सामने वाले का अपमान करना। मूल रुप से “Phubbing” शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, क्योंकि लोग एक दूसरे के साथ Connected होते हैं। ये Connection, सोशल मीडिया या Message के माध्यम से होता है। लेकिन इसका बुरा पहलू ये है, कि “Phubbing” की वजह से लोग अपनों से ही Disconnect हो रहे हैं। अलग-अलग Research में ऐसा पाया गया है, कि “Phubbing” की वजह से रिश्तों में दूरियां पैदा हो रही हैं। Face-To-Face Interactions यानी आमने-सामने बात करने का महत्व ख़त्म होता जा रहा है।
Journal of Applied Social Psychology की एक Study के मुताबिक, जिन लोगों को “Phubbing” के दौरान नज़रअंदाज़ किया जाता है, वो दूसरे के बारे में नकारात्मक सोचने लगते हैं। एक और रिसर्च के मुताबिक, किसी से बातचीत करने के दौरान, फोन का इस्तेमाल करने से सामनेवाले व्यक्ति को ऐसा लगता है, कि बातचीत का दायरा सीमित हो गया है और इसके बाद वो अपनी बात कहने में दिलचस्पी नहीं दिखाते और सबसे बड़ी बात ये है, कि Phubbing की वजह से सामने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। उदाहरण के तौर पर आपके भीतर Sense Of Belonging नहीं रहती। आपको ऐसा लगता है, कि आपका कोई स्वाभिमान नहीं है और आपके वजूद का किसी के जीवन में कोई महत्व नहीं है। क्योंकि, फोन की वजह से नज़रअंदाज़ किए जाने वाले लोग खुद को सामने वाले से कटा हुआ महसूस करने लगते हैं।
Phubbing से सिर्फ नज़रअंदाज़ किए जाने वाले लोगों को ही चोट नहीं पहुंचती बल्कि जो लोग, दूसरों को भूलकर अपने फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं, उन्हें भी नुकसान पहुंचता है। इसी वर्ष फरवरी में एक रिपोर्ट आई थी। जिसमें कहा गया था, कि जो लोग अपने दोस्तों या परिवार के साथ Lunch और Dinner करते हुए, अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं, वो उसका पूरा आनंद नहीं उठा पाते। कुछ दिन पहले ही बैंगलुरु में एक सर्वे किया गया था। 30 वर्ष से कम उम्र के 100 युवाओं पर किए गए इस सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई। इसमें 72 फीसदी युवाओं ने कहा, कि उन्होंने एक दिन में कम से कम 5 लोगों को बातचीत के दौरान नज़रअंदाज़ किया।
नज़रअंदाज़ किए गए लोगों में सबसे बड़ी संख्या दोस्तों की थी और उसके बाद परिवार के सदस्यों का नंबर था। इसी सर्वे में 65 प्रतिशत युवाओं ने स्वीकार किया, कि उन्हें Phubbing के बारे में पूरी जानकारी थी। यानी वो जानते थे, कि सामने वाला व्यक्ति उन्हें नज़रअंदाज़ करके फोन का इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि, कुछ युवाओं ने इसे अपनी आदत बना लिया है। अगर आप किसी से बातचीत के दौरान बार-बार फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो आप कुछ बातों का ध्यान रखकर Phubbing से मुक्ति पा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर Lunch या Dinner के दौरान अपने फोन को खुद से दूर रख दीजिए। Meditation की मदद से आप, अपने फोन से चिपके रहने की आदत से छुटकारा पा सकते हैं।
अगर बातचीत के दौरान कोई आपको नज़रअंदाज़ करता है, तो आपको परेशान नहीं होना चाहिए। ऐसे में गहरी सांसें लीजिए, धैर्य रखिए, और सामने वाले व्यक्ति की हरकतों का बुरा मत मानिए और जब भी मौका मिले, तो आपको सामने वाले व्यक्ति को ये बात ज़रुर बतानी चाहिए, कि Phubbing की वजह से आपको कितना बुरा महसूस हुआ।
हकीकत यह है कि मोबाइल से दूरी बनाने के बाद हम अपना काम बेहतर तरीके से कर पाते है। हमारा पूरा ध्यान काम पर रहता है। यदि आपको यकीन नहीं है तो कुछ दिन ऐसा करके देखिए। आपको अच्छा भी लगेगा और आप अपने काम को अच्छे ढ़ंग से और समय से पहले कर पायेंगे।