चंडीगढ़,
पंजाब सरकार ने लोगों के साथ धोखाधड़ी कर मोटा चूना लगाने वाली फाइनैंस कंपनियों का असरदार इलाज करने का इंतजाम कर दिया है। सरकार ने अब ऐसे अपराधों को गैर जमानती अपराध करार देते हुए 10 साल की सजा और प्रॉपर्टी जब्त करने का प्रावधान किया है। इस नए कानून को मंजूरी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दी दई। इसका मकसद वित्तीय कंपनियों की धोखेधड़ी पर रोक लगाना और पैसा जमा करवाने वाले लोगों के हित सुरक्षित बनाना है।
बैठक के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में काम कर रही कुछ फाइनैंस कंपनियों की धोखेधड़ी संबंधी को रोकने के लिए ‘दी पंजाब प्रटेक्शन ऑफ इंट्रेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स’ (इन फाइनैंशल इस्टैबलिशमैंट) बिल -2018 लाया गया है। इसकी धारा 6 के अधीन अगर वित्तीय कंपनी, लोगों से लिया गया पैसा निश्चित समय पर वापस नहीं की जाता या किसी तरह का धोखा किया जाता है तो कंपनी के मालिकों, मैनेजरों और कंपनी के कर्मचारियों को 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है और वित्तीय कंपनी को भी 2 लाख रुपए से एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इसी तरह धारा 5 में कंपनी को अपनी गतिविधियों की पूरी जानकारी सक्षम प्राधिकारी को देनी होगी और अपने कारोबार संबंधी तिमाही रिपोर्ट देनी होगी। जानकारी न देने की सूरत में एक लाख रुपए के जुर्माने लगेगा। धारा 3 में दोषी की संपत्ति जब्त हो सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य सख्त प्रावधान भी किए गए हैं। इसके साथ ही कैबिनेट ने पंजाब में बेघर स्वतंत्रता सैनानियों और तीन लाख से कम सालाना आय वाले बेघर ग्रामीण लोगों को मकान देने का फैसला भी लिया गया। यह स्कीम विभिन्न चरणों में शुरु होगी।