फ्रैंकफर्ट,
जी 7 सम्मेलन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ट्वीट पर बवाल बढ़ता जा रहा है। अब यह मामला अमेरिका बनाम यूरोप की लड़ाई बनता जा रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि ट्रंप ने जी 7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हट कर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया। फ्रांस ने भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि गुस्से और आवेश से अंतरराष्ट्रीय सहयोग नहीं चलाया जा सकता।
मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं। जर्मनी के मंत्री ने कहा कि ऐसे में यूरोप का जवाब यही होना चाहिए कि हम और अधिक एकजुट हैं। गौरतलब है कि ट्रंप ने आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था, ‘एकजुट यूरोप अमेरिका फर्स्ट का जवाब है।’ ट्रंप के इस कदम की जर्मनी के राजनीतिक गलियारों में व्यापक निंदा की गई है।
इससे पहले ट्रंप ने जी 7 सम्मेलन के अंत में जारी संयुक्त बयान की पुष्टि नहीं करने का निर्देश दिया। सिंगापुर में नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग उन से मिलने के लिए रवाना होने के तुरंत बाद ट्रंप ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘जस्टिन (कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो) द्वारा अपने संवाददाता सम्मेलन में झूठे बयान के और इस तथ्य के आधार पर कि कनाडा हमारे अमेरिकी किसानों, श्रमिकों और कंपनियों पर बड़े पैमाने पर सीमा शुल्क लगा रहा है, मैंने अपने अमेरिकी प्रतिनिधियों को (जी-7 के) बयान की तस्दीक नहीं करने के निर्देश दिए हैं क्योंकि हम अमेरिकी बाजार में ऑटोमोबाइल की बाढ़ पर सीमा शुल्क को देख रहे हैं!’
ट्रंप ने यह भी ट्वीट किया कि कनाडा द्वारा अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाने के जवाब में कनाडाई स्टील और ऐल्युमिनियम के आयात पर अमेरिका ने सीमा शुल्क लगाया है। ट्रंप के ट्वीट के जवाब में जस्टिन ट्रूडो के कार्यालय ने कहा कि ट्रूडो सार्वजनिक और निजी, दोनों स्तरों की बातचीत के दौरान ट्रंप के साथ एक ही जैसी बात पर कायम रहे हैं।
गुस्से और आवेश से अंतरराष्ट्रीय सहयोग नहीं चलाया जा सकता: फ्रांस
उधर, अमेरिका की ओर से समूह सात के संयुक्त बयान अचानक बाधित किए जाने के बाद फ्रांस ने भी आगाह किया कि गुस्से और आवेश से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अपनी मनमर्जी के मुताबिक नहीं चलाया जा सकता। फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘गुस्से और आवेश और बेकार की टिप्पणियों से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अपनी मनमर्जी के मुताबिक नहीं चलाया जा सकता।’ बयान में कहा गया कि बयान में सहमत वचनबद्धताओं से मुकरना ‘असंबद्धता और असंगति’ को दिखाता है।