नई दिल्ली
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का विश्व बैंक ने खुलकर समर्थन किया है। विश्व बैंक ने कहा कि यदि यह सफल रहता है तो इससे राजस्व को बढ़ाने में मदद मिलेगी। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी की सफलता से ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स के दायरे में आ सकेंगे। रिपोर्ट में कहा गया, ‘2016-17 में भारत ने नोटबंदी और एमनेस्टी स्कीम के जरिए अघोषित आय को टैक्स के दायरे में लाने में सफलता हासिल की।’ कुल टैक्स रेवेन्यू, राज्यों के शेयर समेत, बजट में तय किए गए लक्ष्य 10.8 फीसदी को पार कर 11.3 फीसदी तक पहुंच गया। इसकी वजह यह थी कि पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर उम्मीद से ज्यादा एक्साइज ड्यूटी का कलेक्शन किया गया।
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‘इंडियाज ग्रेट करंसी एक्सचेंज’ नाम से लिखे चैप्टर में विश्व बैंक की ओर से टिप्पणी की गई, ‘यदि नोटबंदी के जरिए अघोषित आय को टैक्स के दायरे में सफलता मिलती है तो फिर यह स्थिति हमेशा के लिए हो सकती है।’ विश्व बैंक का मानना है कि नोटबंदी के जरिए सरकार अर्थव्यवस्था को नियमित और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। 2008-09 में भारत की इकॉनमी का आधा हिस्सा अनअकाउंटेड था और 82 फीसदी लोगों को गैर-कृषि कार्यों में रोजगार मिला हुआ था।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद किए जाने का ऐलान किया था। मोदी के इस ऐलान के साथ ही मार्केट में प्रचलित 86 फीसदी करंसी का चलन बंद हो गया था। विश्व बैंक के मुताबिक नोटबंदी के चलते अनियमित अर्थव्यवस्था में शामिल संसाधनों को नियमित इकॉनमी में शामिल किया जा सकेगा। बैंक ने कहा कि फिलहाल जो फर्म्स डिजिटल पेमेंट्स को अपनाने को तैयार नहीं हैं, वे भी नोटबंदी के लिए नियमित इकॉनमी का हिस्सा बन रही हैं।