दिल्ली,
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली के पूर्ण राज्य होने के फायदे गिनाए हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने अपने भाषण में लगभग उसी तरह का वादा किया है जो बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले किया था।
पूर्ण राज्य के दर्जे पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने दावा करते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को 1 साल के लिए 40 हजार करोड़ रुपए देती है, तो उनकी सरकार 5 साल के अंदर दिल्ली के एक-एक आदमी को घर दे देगी।
बता दें कि बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले ऐलान किया था कि अगर देश के बाहर मौजूद काला धन भारत में आता है तो हर एक आदमी के बैंक अकाउंट में 15-15 लाख रुपए आ जायंगे। हालांकि बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद इसे एक जुमला करार दिया था। फ़िलहाल उसी तर्ज पर केजरीवाल भी ऐलान करते नज़र आ रहे हैं।
केजरीवाल ने आगे कहा कि पूरे देश मे सबसे ज्यादा टैक्स दिल्ली वाले देते हैं। 1 लाख 30 हजार करोड़ का टैक्स केंद्र सरकार दिल्ली से लेती है। बदले में केंद्र सरकार कुछ नहीं देती। इतना तो देश के लोगों को अंग्रेज नहीं चूसते थे। अंग्रेज भारत का सोना और पैसा लूटकर इंग्लैंड ले जाते थे, लेकिन इतना आज अंग्रेजों ने नहीं चूसा जितना केंद्र सरकार दिल्ली को चूस रही है।
केजरीवाल के मुताबिक देश के कई हिस्सों में गरीबी है, दिल्ली से 1 लाख 30 करोड़ टैक्स लेकर दूसरे राज्यों को दिया जाता है। केजरीवाल का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार भीख नहीं मांग रही, अपने खून पसीने की कमाई मांग रही है। इस टैक्स का 30% करीब 39 हजार करोड़ रुपए दिल्ली को दिया जाए। हर आदमी का सपना होता है कि एक नौकरी मिल जाए और खुद का मकान हो। हर परिवार को घर और हर आदमी को नौकरी मिल सकती है अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाए।
केजरीवाल के भाषण की मुख्य बातें
आज़ादी की लड़ाई इस देश के लोगों ने लड़ी, 1947 में देश आज़ाद हुआ। देश आजाद होने का मतलब क्या हुआ? देश मे जनतंत्र आ गया, 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हो गया। लोकतंत्र का मतलब होता है कि जनता वोट डालेगी, वोट डालकर सरकार चुनेगी, चुनी सरकार जनता के हिसाब से काम करेगी और 5 साल तक सरकार काम न करे तो जनता उसे उखाड़ फेंकेगी।
1947 के बाद पूरे देश मे आज़ादी आ गई। ये तय हो गया कि वायसरॉय की नहीं चलेगी क्योंकि जनता का शासन आ गया, लेकिन वायसरॉय की जगह एलजी को बैठाकर दिल्ली को धोखा दे दिया गया। 1992 में बोला गया कि संविधान में संशोधन करेंगे और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे, लेकिन वो संविधान भी धोखा निकला।
1935 में अंग्रेज गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट लेकर आए थे। अंग्रेजों ने तब कहा था कि हम आपके देश को आज़ादी दे रहे हैं, अब यहां चुनाव होंगे और आप अपनी सरकार चुनना लेकिन अंग्रेजों के उस कानून में लिखा था कि चलेगी वलसरॉय की। तब गांधी जी, चाचा नेहरू ने कहा था कि ये आज़ादी नहीं धोखा है और नारा दिया कि ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’।
ठीक ऐसा ही संविधान दिल्ली के लिए 1992 में लाया गया। जहां सरकार जनता चुनेगी लेकिन चलेगी एलजी की। ठीक उसी तरह नारा लगाना है कि ‘एलजी दिल्ली छोड़ो’। जनता से घर—घर जाकर पूछना है कि एलजी की चलनी चाहिए या जनता की। जनता कहती है सीसीटीवी चाहिए एलजी मना कर देते हैं। मोहल्ला क्लीनिक और राशन पर भी एलजी रोक लगा देते हैं।
दिल्ली सरकार की भर्तियों में दिल्ली के लोगों के लिए 85% आरक्षण होना चाहिए। पहले अपने बच्चों को नौकरी मिलनी चाहिए। आज दिल्ली में पूर्ण राज्य का दर्जा होता तो दिल्ली के 85% लोगों को नौकरी मिलती। 20 हजार टीचर रखे जाएंगे इसमें से 17 हजार टीचर दिल्ली के होते अगर पूर्ण राज्य का दर्जा होता लेकिन अब भर्ती देश से होगी।
मनीष सिसोदिया 24 घंटे कॉलेज खोलने के लिए मेहनत कर रहे हैं। आज अगर पूर्ण राज्य होता तो दिल्ली में इतने कॉलेज खोल देते तो 12वीं के बाद बच्चों को धक्के खाने नही पड़ते। बात विकास की नहीं सम्मान की है। क्या हमारे दादा-पड़दादा ने आज़ादी के लिए खून नहीं बहाया था?
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात वाले दिल्ली आकर पूछते हैं कि तुम्हारे सरकारी स्कूल कैसे, दिल्ली वाला कहता है कि मेरे स्कूल ऐसे। दिल्ली वालों का सीना 59 इंच का हो जाता है, 56 इंच वाले को भी पीछे छोड़ देते हैं।