टोहाना(नवल सिंह)
हरियाणा साहित्य संस्कृति अकादमी द्वारा उतराखंड से अपने परिजनों के साथ आई बाल कवयित्री काव्यश्री जैन व उनके पिता डॉ. सुरेंद्र जैन को साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया। अकादमी के महासचिव नवल सिंह ने बताया कि सात वर्षीय काव्यश्री जैन ने नन्ही उम्र में अपने पिता डॉ. सुरेंद्र जैन की प्ररेणा से मंच पर काव्य पाठ करना शुरू कर दिया था। वह मौजूदा समय में उतराखंड राज्य के बाजपुर में कक्षा द्वितीय की छात्रा है।
काव्यश्री पिछले दो वर्षों से देश के विभिन्न राज्यों उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व पंजाब के विभिन्न शहरों में कार्यक्रम दे चुकी है। वहीं वह उच्चकोटि के कवि डॉ. हरिओम पवांर, कुँवर बेचैन, वसीम बरेलवी, प्रताप फौजदार, श्रीकांतश्री, विनीत चौहान, कविता तिवारी आदि के साथ प्रतिष्ठित मंचों पर काव्य पाठ कर चुकी है। उसके पिता डॉ. सुरेंद्र जैन पेशे से नैनीताल के रामनगर में हिंदी प्राध्यापक हैं।
काव्यश्री से जब उससे मंतव्य पूछा गया तो उसका कहना था कि वह मंच के माध्यम से राष्ट्रीय संवेदना व मातृ संवेदना के जागरण का प्रयास करती है। काव्यश्री ने सुनाया कि ”कोई भी जात-पात या कोई भी बोली-भाषा हो मेरी सरजमी है ये, वतन पर नाज करती हूं।” वहीं अन्य पक्तियों में सुनाया ”मां का आंचल न हो, तो कौन छुपाएगा, बाहों के झूले में हमें कौन झुलाएगा” इस तरह की कई पंक्तियां सुनाकर सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर प्राईवेट स्कूल संघ के अध्यक्ष धर्मपाल सैनी, सामाजिक अनुभवी चिकित्सक संगठन के जिला प्रधान कर्मबीर लांबा, फ्रैंडस टू हैल्प संस्था के संस्थापक तनुज गोयल आदि उपस्थित थे।