हिसार

गलत ढंग से गोद ली गई बच्ची को 17 घंटे में बरामद कर असल मां-बाप को सौंपा

हिसार,
महिला आयोग की सदस्य श्रीमती सुमन बेदी ने कहा है कि गोद देने की चाह रखने वाले माता-पिता अपनी बच्चियों का गोदनामा कानूनी प्रक्रिया के तहत ही दें अन्यथा बच्ची को जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही में फतेहाबाद के जाखल मंडी के दम्पत्ति द्वारा अपनी बच्ची को किसी अन्य को गोद में दिए गए मामले की छानबीन में पाया गया कि यह मामला गोद देने का न होकर खरीद-फरोख्त से जुड़ा हुआ है। इसलिए अभिभावक ऐसे मामलों में अधिक सतर्क रहें।
वे यहां के लोक निर्माण विश्राम गृह में फतेहाबाद जिला के गांव सिधानी में एक दंपत्ति द्वारा बच्ची को बिना कानूनी प्रक्रिया के गोद देने के मामले पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुमन बेदी ने कहा कि चार अगस्त को महिला आयोग के सज्ञान में आया कि फतेहाबाद की जाखल मंडी के पास एक मजदूर परिवार ने अपने बच्ची को पंजाब की रेशमा देवी के माध्यम से पंजाब के ही खन्ना मंडी की गुरप्रीत को गोद दिया। मजदूर परिवार के पहले से ही चार बच्चियां हैं। अभी हाल मेें दम्पत्ति को जुड़वा बच्चियां पैदा हुई थी। उनमें से एक बच्ची को रेशमा नामक महिला के माध्यम से पंजाब की गुरप्रीत को गोद दे दी। परिवार ने दस दिन बाद अपनी बच्ची का हालचाल पूछने के लिए जब गुरप्रीत से संपर्क किया तो उसने कहा कि ‘कौन सी बच्ची, पंडतों वाली’ इस पर उन्हें शंका हुई और उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज करवाई।
सुमन बेदी ने कहा कि आयोग की प्राथमिक पूछताछ में इस मामले को संदिग्ध पाया गया और संबंधित उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया। जिला प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से एक टीम का गठन कर दिया। टीम ने उसके साथ पहले पंजाब के दड़बा से रेशमा और फिर खन्ना मंडी की गुरप्रीत व एक अन्य लडक़ी मीनू से संपर्क कर पूछताछ की। पूछताछ में पाया कि गुरप्रीत ने जिस बच्ची को गोद लिया था उस बच्ची को गुरप्रीत ने किसी अन्य को गोद दे दिया। आयोग की सदस्य ने प्रशासन की टीम के साथ उस बच्ची को बरामद कर मजदूर दम्पत्ति को सौंप दिया।
उन्होंने कहा कि इस सारी प्रक्रिया की छानबीन में यह मामला भी सामने आया है कि रेशमा देवी ने दो अन्य बच्चियों को पहले किसी को गोद में दिलवाया है। इस बारे छानबीन जारी है। गोद लेने वाली महिला ने बताया कि बच्ची हमने कानूनी प्रक्रिया के तहत ली है, इस बारे गहन छानबीन की जा रही है, परंतु प्राथमिक जांच से यही प्रतीत हो रहा है कि बच्ची को गोद लेते समय कानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया था। उन्होंने कहा कि आयोग महिलाओं व बच्चियों के अधिकारों के प्रति बेहद गंभीर है। इस गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आयोग ने प्रशासन की टीम के साथ मामला संज्ञान में आने के बाद 17 घंटे मेें ही बच्ची को बरामद कर असली मां-बाप को सुपर्द कर दिया।

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