हिसार (राजेश्वर बैनीवाल)
नगर निगम मेयर एवं आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावों को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों में उथल-पुथल शुरू हो गई है। पद पाने की इच्छा में दिनों में भाजपा में शामिल हो रहे हैं कुछ लोगों की सक्रियता को देखते हुए पुराने भाजपाइयों के चेहरों की रौनक गायब है वहीं शामिल होने वाले नेताओं के साथ भी आसमान से गिरे-खजूर में अटके वाले कहावत चरितार्थ होने की संभावना बनती जा रही है।
पिछले कुछ दिनों से मेयर व आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव को देखते हुए पाला बदलने के माहिर नेताओं ने इधर से उधर गोटियां फिट करने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। मेयर पद के लिए कुछ समय पहले एक नेता ने इनेलो छोड़कर भाजपा में पदार्पण किया था और अपनी आगामी चाह को देखते हुए उक्त नेता इन दिनों अपने होटल में भाजपा की खूब सेवा चाकरी कर रहा है। उक्त नेता की चाहत पूरी होती, इससे पहले ही एक अन्य नेता भाजपा में शामिल हो गया। खास बात यह रही कि जो नेता हाल ही में शामिल हुआ है, उसका किसी ने औपचारिकतावश स्वागत तक नहीं किया। केवल भाजपा में शामिल करने वाले पार्टी के मजबूत होने की बात कहकर चलते बने, अब बेचारे नेताजी न घर के रहे न घाट के वाली कहावत की ओर बढ़ रहे हैं। जिस पार्टी को छोड़कर उक्त नेताजी आए हैं, उस पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे पिछले 6 माह से पार्टी कार्यक्रमों से दूर थे, ऐसे में वे पार्टी छोड़ ही चुके थे। खास बात यह है कि जिस नेता को भाजपा ने मेयर व आगामी लोकसभा-विधानसभा चुनाव में फायदे के लिए शामिल किया है, वह नेता अपनी खुद की जमानत तक नहीं बचा पाया था।
पुराने भाजपाइयों के चेहरे लटके
नये शामिल हो रहे नेताओं को देखते हुए पुराने भाजपाइयों के चेहरों की रौनक गायब है। भले ही ये नेता पार्टी की मजबूती का दावा करें लेकिन इनके दिल पर जो बीत रही है, वह ये ही जानते हैं। चार-पांच पुराने भाजपाई जब एकत्रित होते हैं तो इनकी चर्चा केवल नये शामिल हो रहे नेताओं पर ही होती है और इस दौरान इनके चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही है। केन्द्र व प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बावजूद जिस प्रकार का सम्मान पुराने भाजपाइयों को मिल रहा है और नये वाले मलाई खा रहे हैं, उसको देखते हुए नये शामिल हो रहे नेताओं ने इनकी हालत अब और पतली कर दी है।
एक पंजाबी नेता और निशाने पर
भाजपा ने हाल में एक नेता को शामिल किया है जबकि दूसरा नेता निशाने पर है। पार्टी सूत्रों की मानी जाए तो नये शामिल हो रहे नेताओं को मेयर चुनाव लड़वाए जाने की कोई संभावना दूर-दूर तक नहीं है लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले भाजपा अपना रास्ता साफ करना चाहती है। मेयर व विधायकी के दावेदारों को अपने में शामिल करके भाजपा विरोधियों को समाप्त करने की नीति पर काम कर रही है और इसमें उसे सफलता भी मिलती दिख रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भले ही कोई नेता शामिल हों, लेकिन मेयर व विधायकी का चुनाव पार्टी व संगठन से जुड़ा नेता ही लड़ेगा, ऐसा तय कर लिया गया है।
विधायक के दावेदार भी हुए शामिल
हिसार विधानसभा में विधायकी का दावेदार जहां भाजपा में शामिल होने को आतुर है वहीं आदमपुर व नलवा से चुनाव लड़ चुके दो अन्य नेता भी कुछ दिन पहले भाजपा का दामन थाम चुके हैं। खास बात यह है कि ये दोनों ही नेता अलग-अलग समय में नलवा व आदमपुर से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। अब ये दोनों नेता भी विधायकी के लिए मुंह धो रहे हैं लेकिन संगठन के नियमों से बंधी भाजपा यहां पर इन दोनों को सबक सिखाने के प्रयास में हैं।
पंजाबी नेता से मांगा जा रहा जवाब
मेयर पद के लिए भाजपा में शामिल होने का प्रयास कर रहे एक नेता से उसके समाज ने जवाब मांगना भी शुरू कर दिया है। नेताजी से पूछा जाने लगा है कि क्या वो खुद बड़ा है या उसका समाज, जो उसकी इच्छा के अनुसार चले। मेयर हो, पार्षद हो या विधायकी हो, क्या समाज इसी नेता का साथ देता रहेगा, क्या समाज के अन्य लोगों को अपनी दावेदारी कहीं प्रस्तुत करने का हक नहीं है। बताया जा रहा है कि जवाब मांगने के बाद उक्त नेताजी बगले झांकने लगा है।