हिसार

सरकार के पाले में गेंद डालकर तालमेल कमेटी ने पैदा की सांप-छछूंदर वाली हालत

हिसार (राजेश्वर बैनीवाल)
रोडवेज के चालकों-परिचालकों का ओवरटाइम समाप्त करके कर्मचारियों को झटका देने वाले विभाग के उच्चाधिकारियों को रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने उससे बड़ा झटका दे डाला है। दरअसल तालमेल कमेटी ने सरकार के पाले में गेंद डालते हुए बिना ओवरटाइम ड्यूटी करने का ऐलान करते हुए स्टाफ व बसों की व्यवस्था के लिए 45 दिन का वक्त देते हुए 5 जनवरी तक व्यवस्था सुधारने की अल्टीमेटम दिया है। साथ ही चेताया है कि यदि इस दौरान सरकार व्यवस्था नहीं कर पाई और जनता को परेशानी हुई तो सरकार एवं विभाग के उच्चाधिकारी जिम्मेवार होंगे। तालमेल कमेटी ने ऐसा अल्टीमेटम देकर सरकार के लिए सांप-छछूंदर वाली हालत पैदा कर दी है।

पिछले दिनों 18 दिन तक चली रोडवेज कर्मियों की हड़ताल व बीच-बीच में विभाग के एसीएस से हुई बातचीत के दौरान रोडवेज कर्मियों को ओवरटाइम देने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा था। कर्मचारियों से बातचीत के दौरान एसीएस ने कहा था कि सरकार कर्मचारियों को ओवरटाइम के रूप में करोड़ों रुपये दे रही है, जिसका प्रतिवाद करते हुए कर्मचारी नेताओं ने उन्हें यहां तक कह डाला था कि वे अपने घर से पैसे नहीं दे रहे बल्कि ओवरटाइम कर्मचारियों की मेहनत का मिलता है। हालांकि एसीएस से हुई बातचीत सिरे नहीं चढ़ पाई लेकिन सूत्र बताते हैं कि एसीएस ने उसी समय ओवरटाइम बंद करने का निर्णय लेकर कर्मचारियों को झटका देने का मन बना लिया था। हड़ताल समाप्त हुए कुछ ही दिन बीते थे कि ओवरटाइम समाप्त करने का पत्र जारी हो गया। पत्र जारी होने की देर थी कि अधीनस्थ अधिकारियों ने बसों के रूटों में कटौती करनी शुरू कर दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि लंबे रूटों पर जाने वाली सभी बसों की सेवाएं गड़बड़ा गई। यहां तक की राज्य व देश की राजधानी जाने वाली बसों के संचालन में भी व्यवधान आ गया और यात्री सरकार को कोसते नजर आए।

तालमेल कमेटी ने समझी गंभीरता
लंबी दूरी की बसों के संचालन में आए व्यवधान व यात्रियों को हो रही परेशानी को रोडवेज तालमेल कमेटी ने गंभीरता से लिया। तालमेल कमेटी का सीधा आरोप है कि हड़ताल के दौरान जनता व छात्र वर्ग ने कर्मचारियों का भरपूर सहयोग किया था, इसलिए सरकार अपने ऐसे फैसलों से जनता को परेशान करना चाहती है। सरकार ने जनता से बदला लेने के लिए अपना ट्रेलर भी दिखा दिया है। यात्रियों व छात्र वर्ग को हो रही परेशानी को देखते हुए तालमेल कमेटी ने बैठक बुलाई समस्या के समाधान पर विचार-विमर्श किया।

बिना ओवरटाइम ड्यूटी का ऐलान
बैठक में हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने सरकार को 45 दिन का समय देते हुए कहा है कि वह इस अवधि के दौरान विभाग में चालकों-परिचालकों, बसों व अन्य स्टाफ की कमी को पूरा करें। तब तक रोडवेज के मौजूदा चालक-परिचालक बिना ओवरटाइम अपनी सेवाएं देने को तैयार है, लेकिन जनता को परेशानी नहीं होनी चाहिए। तालमेल कमेटी ने कहा है कि 45 दिन की अवधि 4 जनवरी को समाप्त हो जाएगी और इस दौरान यदि सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की तो वह खुद व उसके उच्चाधिकारी जिम्मेवार होंगे।

15 से 18 हजार कर्मचारियों की और जरूरत
बैठक में रोडवेज नेताओं ने कहा कि इस समय रोडवेज में कर्मचारियों की संख्या मात्र 19 हजार 600 ही है और यदि सरकार ओवरटाइम बंद करती है तो 15 से 18 हजार कर्मचारी और भर्ती करने की जरूरत है। ऐसे में सरकार यदि भर्ती करना चाहे तो भी तुरंत प्रभाव से भर्ती नहीं की जा सकती, ऐसे में विभाग के मौजूदा चालक-परिचालक बिना ओवरटाइम ड्यूटी करेंगे। बैठक में सरकार से मांग की गई कि वह विभाग में स्थाई भर्ती करें ताकि बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ न हो। तालमेल कमेटी नेताओं ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों का ओवरटाइम समाप्त करने के नाम पर आम जनता व छात्र वर्ग के हितों पर कुठाराघात किया है लेकिन रोडवेज तालमेल कमेटी व कर्मचारियों के लिए विभाग व जनता के हित सर्वोपरि है। ऐसे में यह फैसला लिया गया है कि चाहे विभाग उन्हें ओवरटाइम न दें लेकिन वे सरकार की व्यवस्था होने तक पहले की तरह 8 से 12 या 16 घंटे तक बिना लाभ के ड्यूटी करने को तैयार हैं ताकि जनता को कोई परेशानी न हो।

जनता का समर्थन नहीं करेंगे नजरअंदाज
बैठक में रोडवेज नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा विभाग, कर्मचारियों व जनता के हितों को नजरअंदाज करते हुए अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए महंगी दरों पर 700 निजी बसें किराये पर लिये जाने के फैसले के खिलाफ रोडवेज कर्मचारियों ने पिछले दिनों 18 दिन तक हड़ताल की थी। हड़ताल को कर्मचारियों के अलावा आम जनता ने भी भारी समर्थन दिया था, इसलिए सरकार ने बौखलाहट में ओवरटाइम में कटौती करते जनता के हितों पर छुरी चलाने का काम किया है, जो निंदनीय है।

ये रहे बैठक में मौजूद
बैठक में तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य दलबीर किरमारा, हरिनारायण शर्मा, इन्द्र सिंह बधाना, सरबत सिंह पूनिया, विरेन्द्र सिंह धनखड़, पहल सिंह तंवर, अनूप सहरावत, बाबूलाल यादव, आजाद सिंह गिल, जयभगवान कादियान, राजाराम हुडा, विजय अहलावत, सूरजमल पाबड़ा व रमेश सैनी सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

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