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मनोहर पर्रिकर : एक सादगी भरे नेता का अंत, सोमवार को राष्ट्रीय शोक

पणजी,
गोवा के मुख्यमंत्री का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वो लंबे से अग्नाशय के कैंसरे से पीड़ित थे। ईमानदारी और सादगी के लिए प्रसिद्ध पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे। 2014 में एनडीए सरकार में मनोहर पर्रिकर ने देश के रक्षा मंत्री की भूमिका निभाई। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक जताया है। बता दें कि पर्रिकर की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसमंद नेताओं में की जाती थी। उनके निधन पर सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। सोमवार को उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
राजनीतिक सफर
पर्रिकर पहली बार 24 अक्टूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका कार्यकाल केवल 27 फरवरी 2002 तक ही चला। इसके बाद पांच जून, 2002 को उन्हें फिर से चुना गया और उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दी। चार भाजपा विधायकों के 29 जनवरी, 2005 को सदन से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद कांग्रेस के प्रतापसिंह राणे, पर्रिकर की जगह गोवा के मुख्यमंत्री बने। पर्रिकर के नेतृत्व वाली भाजपा को 2007 में दिगम्बर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
बहरहाल, वर्ष 2012 राज्य में पर्रिकर की लोकप्रियता की लहर लेकर आया और उन्होंने अपनी पार्टी को विधानसभा में 40 में से 21 सीटों पर जीत दिलाई। वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने। भाजपा की जीत की लय वर्ष 2014 में भी बनी रही जब पार्टी को आम चुनाव में दोनों लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई। केंद्र में मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण करने के बाद पर्रिकर को नवंबर 2014 में रक्षा मंत्री का पद दिया गया। वह 2017 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे। गोवा विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुमत हासिल नहीं कर पाने पर वह मार्च 2017 में राज्य लौटे और गोवा फॉरवर्ड पार्टी एवं एमजीपी जैसे दलों को गठबंधन सहयोगी बनाने में कामयाब रहे। राज्य में एक बार फिर उनकी सरकार बनी।
IIT मुंबई से ग्रेजुएट, संघ से नाता
पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 में गोवा के मापुसा गांव में हुआ। उन्होंने लोयोला हाई स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल की। 1978 में उन्होंने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट डिग्री हासिल की। छात्र जीवन से ही मनोहर पर्रिकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक में सक्रिय थे। शुरू से ही उनका संघ की ओर झुकाव था। वह पढ़ाई के दौरान संघ की शाखा में जाने लगे थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे और बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और उन्होंने बीजेपी पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा।
1994 में पहली बार जीते
1994 में पर्रिकर ने बीजेपी की टिकट से गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें इसमें जीत भी मिली। 24 अक्टूबर, 2000 में गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल करते हुए सत्ता तक पहुंच बना ली और पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि मुख्यमंत्री बनने की खुशी पर्रिकर के लिए ज्यादा समय तक नहीं रह सकी क्योंकि निजी जिंदगी में उनका संघर्ष जारी था।
पत्नी की भी हुई कैंसर से मौत
इसे विडंबना ही करेंगे कि मनोहर पर्रिकर की पत्नी मेघा का निधन पर कैंसर से हुआ। फरवरी, 2002 में उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा। जून, 2002 में फिर से वह मुख्यमंत्री बने और फरवरी 2005 तक इस पद पर रहे। 2005 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी 2012 में फिर से सत्ता में लौटी और पर्रिकर एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार में रक्षा मंत्री बनने के लिए नवंबर, 2014 में पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि वह रक्षा मंत्री के रूप में ज्यादा समय तक पद पर नहीं रहे क्योंकि खराब तबीयत का हवाला देते हुए गोवा लौट गए और फिर से मुख्यमंत्री बन गए।

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