हिसार।
गर्मी अपने चरम पर है और इसलिए हमें अपनी आंखों का भी ख्याल रखना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि आपकी आंखें नुकसानदेह यूवीए और यूवीबी किरणों के सम्पर्क में ज्यादा न आएं। धूल-मिट्टी, अत्यधिक धूप और तापमान में तीव्र बढ़ोतरी की वजह से ग्रीष्म ऋतु में आंखों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। गर्म व शुष्क वातावरण, हवा में मौजूद खुजली व ऐलर्जी पैदा करने वाले तत्व, गर्द और धुंआ ये सब मिलकर आंखों में कई प्रकार की दिक्कतें पैदा करते हैं जैसे आंखों में पीड़ा, सूखापन, ऐलर्जी आदि।
तायल गार्डन स्थित आई-क्यू सुपर स्पेशलिटी सीनियर डॉ. जीडी अग्निहोत्री ने बताया कि स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि मोतियाबिंद के 20 प्रतिशत मामले मुख्य रूप से धूप से हुई क्षति तथा पराबैंगनी किरणों के अत्यधिक सम्पर्क में आने की वजह से होते हैं। पराबैंगनी किरणों से त्वचा कैंसर भी होता है जिसमें से 10 प्रतिशत मामले पलकों की त्वचा के होते हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि पराबैंगनी किरणों से सीधे सम्पर्क से बचें और इसके लिए यूवी प्रोटेक्टिव लेंस या चश्मे पहनें। उन्होंने बताया कि ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप गर्मियों के मौसम में अपनी आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं। धूप के ऐसे चश्मे पहनें जो पराबैंगनी किरणों से 100 प्रतिशत सुरक्षा दें। पोलराइज्ड शैड्स ज्यादा बेहतर हैं। दोपहर की धूप से बचें और मुमकिन हो तो घर के भीतर या इंडोर ही रहें, खासकर दोपहर के समय क्योंकि इस वक्त पराबैंगनी किरणों का विकिरण अधिकतम होता है। शरीर में तरल की कमी न होने दें। यह जरूरी है कि पलकों में तरलता बनी रहे, इसलिए दिन भर में कम से कम पांच लीटर पानी अवश्य पिएं और बार-बार पलकें झपकाएं। शुष्क हवा में माइक्रोस्कोपिक अलर्जन का उच्च स्तर होता है जो आंखों में खुजली पैदा करते हैं। आंखों के इर्द-गिर्द तरल होता है, जब भी हम पलकें झपकाते हैं तो यह तरल आंख में गिरे कचरे व धूल को साफ करता है। अगर आप स्विमिंग पूल में तैरने जाते हैं तो तैराकी वाला चश्मा जरूर पहनें, यह पूल के पानी को आंखों में जाने से रोकता है, स्विमिंग पूल के पानी में क्लोरीन घुला होता है जो आंखों में जलन पैदा करता है। तैरने के बाद अपनी आंखों को स्वच्छ-शीतल जल से धोएं या आंखों में आई ड्रॉप डालें।
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