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कालाधन : फिर लग सकता है बैंक से नकदी निकालने पर टैक्स

नई दिल्ली,
केंद्र में दूसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार बनने से इस बात की लोगों में उम्मीद बढ़ गई है कि सरकार अब मजबूती से आर्थिक सुधारों के कदम को आगे बढ़ाएगी। मोदी सरकार से खासकर लोगों की यह उम्मीद रहती है कि वह काले धन पर अंकुश के लिए कड़े कदम उठाएगी। अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड में दावा किया गया है कि इस बार काले धन पर अंकुश के लिए सरकार बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स (BCTT) यानी नकद निकासी पर टैक्स को फिर से लागू करेगी।
अखबार ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि नीति-नियंताओं ने इस बारे में विचार-विमर्श भी शुरू कर दिया है। नकद निकासी को हतोत्साहित करने के लिए इस प्रकार का टैक्स लगाया जाता है। इसके अलावा विरासत की संपत्त‍ि पर एस्टेट टैक्स लगाने पर भी विचार किया जा रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि संबंधित विभाग इसकी संभाव्यता पर विचार कर रहे हैं और यह भी विचार किया जा रहा है कि वास्तव में यह टैक्स कितना प्रभावी हो सकता है। इस तरह का टैक्स बहुत मामूली होता है। असल में सरकार का उद्देश्य इसके द्वारा कमाई करने की नहीं, बल्कि नकदी के रूप में काले धन पर अंकुश लगाने की हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि इससे डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा, जिस पर पीएम मोदी का शुरू से जोर रहा है।
इस मसले पर बजट पूर्व होने वाली चर्चाओं में भी विचार किया जा रहा है। नई सरकार बनने और वित्त मंत्री के कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय हो सकता है।
चिदम्बरम ने लागू किया था ऐसा टैक्स
गौरतलब है कि देश में कैश ट्रांजैक्शन टैक्स सबसे पहले यूपीए प्रथम सरकार के वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम लेकर आए थे। इसे 1 जून, 2005 को लागू किया गया था। लेकिन इसे 1 अप्रैल, 2009 को हटा लिया गया। ऐसा कहा गया कि काले धन पर अंकुश के लिए तमाम दूसरे साधन आ गए हैं, इसलिए इसकी जरूरत नहीं है।
तब इसके तहत एक दिन में 50 हजार रुपये से ज्यादा की निकासी पर एक 0.1 फीसदी BCTT लगाया गया था, यानी प्रति हजार रुपये की निकासी पर एक रुपये का टैक्स। यह रकम बेहद मामूली थी और यह सेविंग खाते से निकासी पर नहीं लगता था। बीसीटीटी से साल 2005 से 2009 के बीच 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ था।

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