नई दिल्ली,
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए विशेष कवच बनाए जाने की तैयारी है। ये कवच पांच लेयर का होगा। पांचों लेयर की सुरक्षा तैनात करने के बाद दिल्ली के चारों तरफ अभेद्य किला बन जाएगा। यह विश्व की सबसे बेहतरीन सुरक्षा प्रणालियों में से एक होगी। इसकी तैनाती को बाद दिल्ली किसी भी तरह के हवाई हमलों से सुरक्षित रहेगा। चाहे हमला मिसाइल से हो, ड्रोन से हो या फाइटर जेट से।
भारत लगातार ऐसी सुरक्षा प्रणाली के लिए अमेरिका, रूस और इजरायल से डील कर रहा है। माना जा रहा है कि अभी भारत अमेरिका से नेशनल एडवांस्ड सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम-2 (NASAMS-2) लाने की तैयारी में है। अगर ये सिस्टम देश में आता है तो दिल्ली को हवाई हमलों से बचाया जा सकेगा। यानी अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर जैसा हादसा यहां नामुमकिन हो जाएगा।
1. बाहरी सुरक्षा पृथ्वी मिसाइल के हाथ में
2 स्तर की सुरक्षा व्यवस्था – पहली एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) और पृथ्वी एयर डिफेंस इंटरसेप्टर (पीएडी) मिसाइल तैनात होंगे। दोनों मिलकर 15 से 25 और 80 से 100 किमी की दूरी तक आसमान से आने वाली मिसाइलों के नष्ट कर देंगे। 2000 किमी रेंज से आने वाली मिसाइलों को गिराने के लिए 5556 किमी प्रतिघंटा की गति से हमला करने वाली मिसाइलों का सिस्टम भी तैयार है। भविष्य में 5000 किमी रेंज से आने वाली मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए 8643 किमी प्रतिघंटा की गति से हमला करने वाली मिसाइलों का सिस्टम बन रहा है।
2. रूस से मंगाई गई एस-400 मिसाइस सिस्टम
भारत ने रूस से ट्रिम्फ सरफेस टू एयर (सैम) मिसाइल सिस्टम की 40 हजार करोड़ की डील अक्टूबर 2018 में की है। इस मिसाइल सिस्टम की रेंज 120, 200, 250 और 380 किमी है। इनकी डिलीवरी अक्टूबर 2020 से अप्रैल 2023 के बीच होगी। एस-400 सिस्टम 380 किमी की सीमा में बम, जेट्स, जासूसी विमान, मिसाइल और ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है।
3. इजरायली बराक-8 मिसाइल सिस्टम भी करेगा सुरक्षा
डीआरडीओ और इजरायल द्वारा विकसित मध्यम और लंबी दूरी की बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम 70 से 100 किमी तक की दूरी तक दुश्मनों के हमलों को हवा में खत्म कर देगा।
4. आकाश करेगा आसमान की निगेहबानी
स्वदेशी मिसाइल आकाश का डिफेंस सिस्टम दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसमान की निगेहबानी करेगा। इसकी रेंज 25 किमी है। ये मिसाइलें लड़ाकू विमानों में भी लैस हो जाते हैं। भारतीय वायुसेना 10900 करोड़ रुपए से आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम के 15 स्क्वाड्रन तैनात करेगा। वहीं, भारतीय सेना 14800 करोड़ रुपए से आकाश-2 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के 2 रेजीमेंट तैनात करेगा।
5. NASAMS-2 करेगा छोटे हमलों से बचाव
भारत जिस NASAMS-2 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए अमेरिका से समझौता करने की तैयारी में है, वह छोटे हमलों से बचाव करेगा। ये इमारतों और शहर के बीच होने वाले हमलों को बर्बाद करने में सक्षम है। इसमें स्टिंगर्स, गन सिस्टम और AMRAAM मिसाइल शामिल हैं।
क्या है NASAMS-2 समझौता?
उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिका NASAMS-2 की बिक्री के लिए अंतिम मसौदा जुलाई या अगस्त में भारत भेजेगा। दिल्ली में मिसाइलें कहां तैनात होंगी, इसका भी खाका खींचा जा चुका है। सौदा होने के बाद 2 से 4 साल में NASAMS-2 सिस्टम की डिलीवरी हो जाएगी।
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