हांसी(राजेश्वर बैनीवाल)
चुनावी समय नजदीक आते-आते टिकट के चाहवान नेताओं ने जोर आजमाइश तेज कर दी है। वैसे तो हर पार्टी का नेता टिकट के लिए हाथ-पैर मार रहा है लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी मची हुई है। हांसी से पार्टी टिकट के एक चाहवान नेता को पार्टी भी मजबूत मानती है लेकिन हुड्डा शासन में उजागर हुई भ्रष्टाचार की सीडी उसकी राह की अड़चन बनी हुई है। उधर, यह भी सुगबुगाहट है कि यदि उक्त नेता को भाजपा की टिकट नहीं मिली तो वे फिर से कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं और इसके लिए उनकी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात की भी चर्चाएं हैं।
जी हां, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता इन दिनों हांसी से टिकट के लिए ज्यादा ही सक्रिय हैं। हर नेता अपनी टिकट का जोर-शोर से दावा कर रहा है लेकिन यह समय ही बताएगा कि टिकट किसको मिलती है। कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में शामिल हुए नेताजी भी इन दिनों काफी सक्रिय बताए जा रहे हैं लेकिन भ्रष्टाचार की एक सीडी उनकी राह में रोड़ा बनी हुई है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि उक्त नेता टिकट के लिए उपयुक्त तो है लेकिन यदि इसे टिकट दिया जाता है तो भाजपा के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के मामले में उसे नीचे देखना पड़ सकता है। हुड्डा सरकार के समय उजागर हुई नेताजी की भ्रष्टाचार की सीडी न केवल टिकट के दावेदार उक्त नेताजी को परेशानी में डाले हुए है बल्कि यह सीडी पार्टी के लिए भी परेशानी बनी हुई है।
राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि उक्त नेता को टिकट देने की हालत में विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के सहारे विपक्ष पर लगातार प्रहार कर रही भाजपा उक्त नेताजी को अपना उम्मीदवार बनाकर खुद बचाव की मुद्रा में आ सकती है और न ही ऐसी हालत में पार्टी के पास कोई जवाब होगा। बताया जा रहा है कि नेताजी ने भाजपा में शामिल होने के बाद काफी दिनों तक सीडी के मामले को दबाये रखा ताकि कहीं जिक्र न हो, लेकिन राजनीति में यह कैसे संभव है कि ऐसी बातों का जिक्र न हो। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार की सीडी की मुख्यमंत्री व भाजपा हाईकमान तक चर्चा है। चर्चा तो यहां तक है कि पार्टी में ही उनके शुभचिंतकों ने सीडी के अलावा भ्रष्टाचार के कई अन्य मामलों का भी कच्चा-चिट्ठा तैयार कर रखा है और इन मुद्दों पर उच्च स्तर पर चर्चा हो चुकी है। बताया तो यहां तक जा रहा है नेताजी अपने जिस समाज के ज्यादा वोट देने की दुहाई देकर टिकट का दावा कर रहे हैं, उस समाज में ही उनका खासा विरोध है, जो उनकी परेशानी को और ज्यादा बढ़ा रहा है।
राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि नेताजी टिकट की राह में रोड़ा बनी उक्त भ्रष्टाचार की सीडी की पार्टी हाईकमान व सरकार स्तर पर चर्चा है। चर्चा है कि यदि नेताजी को टिकट थमा भी दी गई तो भाजपा और ज्यादा पशोपेश में पड़ सकती है क्योंकि सीडी से जुड़ा मामला उच्च न्यायालय में लंबित है और न्यायायल की तरफ से कभी भी कोई भी आदेश नेताजी के विपरीत, यानि भ्रष्टाचार के खिलाफ दिया जा सकता है। ऐसी हालत में टिकट लेकर उक्त नेताजी न केवल खुद को बल्कि पार्टी को भी परेशानी में डाल सकते हैं। बताया जा रहा है कि सीडी का मामला उग्र होने के बाद भाजपा हाईकमान भी इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता से मुलाकात की चर्चाएं जोरों पर
राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि भाजपा की टिकट के आड़े आ रही सीडी के दृष्टिगत नेताजी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से संपर्क भी साधा है ताकि भाजपा की टिकट कटने की हालत में कांग्रेस की टिकट का जुगाड़ हो सके। प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद उक्त नेता जी कांग्रेस के बड़े नेता से मुलाकात की चर्चाएं जोरों पर है क्योंकि कांग्रेस शासनकाल में ही उक्त नेताजी ने भ्रष्टाचार की नदी में जमकर चांदी कूटी थी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कांग्रेस की ओर से उक्त नेताजी को टिकट का आश्वासन मिला है या नहीं लेकिन भाजपा की ओर से उक्त नेताजी निराश अवश्य हो चुके हैं। इस समय उन्हें भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में उम्मीद ज्यादा नजर आने लगी है क्योंकि यदि मौजूदा विधायक रेनुका बिश्नोई हांसी से चुनाव नहीं लड़ती है तो इस हालत में उक्त नेता फिर से कांग्रेस टिकट पर मजबूती से दावा पेश कर सकता है। राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि कांग्रेस नेता से मुलाकात के दो मायने हो सकते हैं। इस मुलाकात के बहाने वे भाजपा हाईकमान पर दबाव बनाने का प्रयास भी कर सकते हैं वहीं पुराने संबंधों की दुहाई देकर कांग्रेस की टिकट भी हासिल कर सकते हैं।
पुराने भाजपाइयों की हालत देखने वाली
भ्रष्टाचार की सीडी व अन्य तर्क-वितर्क से दूर भाजपा के पुराने व जमीन पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ता व नेता भी टिकट की उम्मीद लगाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद तो है कि पार्टी इस बार उनकी सेवा की कद्र करेगी लेकिन साथ ही भय भी है कि कहीं पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव की तरह दूसरी पार्टियों से आए नेताओं को ही टिकट से न नवाज दिया जाए। अब देखना है कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं व नेताओं की वर्षों की सेवा की कद्र करती है या फिर उनकी भावनाओं को कुचलकर उन्हें किसी अन्य की जय-जयकार को मजबूर करती है।
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