सरकार किसान कमेरे की बात जरूर करती है लेकिन उनके हित में करती कुछ नहीं
फतेहाबाद,
समाजसेविका रेखा शाक्य ने कहा है कि हरियाणा प्रदेश के तकरीबन सभी छोटे बङे किसान कर्ज मे डूबे हुये है, जिस कारण किसान आत्महत्याऐ करने पर मजबूर हो रहे है। किसानों की आमदनी इतनी नहीं होती कि कर्जे उतार सके।
एक बयान में रेखा शाक्य ने कहा कि प्रदेश का किसान हमारे अन्नदाता ही नहीं बल्कि हमारी जीने की जरूरत है। अन्न के बिना हमारा जीवन जीना बेहद मुश्किल है किसान हमारे जीवन के लिये सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। फिर भी किसानो को अनाज के व अन्य फसलों के किसानों के मुताबिक भाव नहीं मिल पाते है। किसान दिन रात खेतों मे मेहनत कर खाद पानी देकर फसलों को पकाते हैं लेकिन कभी तूफान, कभी बारिश कभी प्राकृतिक आपदा आदि के कारण किसानों की फसलें खेतों मे खत्म हो जाती है लेकिन सरकार उन्हें पूरा मुआवजा नहीं देती है जिस कारण खर्चे ओर अधिक बढ जाते है।
रेखा शाक्य ने कहा कि किसान कर्जे लेकर फसलें बीजते है व पकाने का काम करते हैं लेकिन मंडियों में भी किसानों को धक्के खाने पङते है। अनाज समय पर नहीं बिकता और सही भाव नहीं मिलते है। जिस कारण किसानों की अंत मे मायूसी ही हाथ लगती है और कर्जे कम होने की बजाय और ज्यादा बढ जाते है। उन्होंने सरकार से मांग कि है कि सबसे पहले प्रदेश के सभी छोटे बङे किसानो के जो बैंको व सोसायटियों के कर्जे है, उन्हें माफ किया जाये क्योंकि किसान ही एक ऐसा अन्नदाता है जो सभी का पेट भरने का काम करता है, लेकिन फिर भी किसानों को उनकी मेहनत के अनुसार आमदनी नहीं हो पाती है जिस कारण कर्जे पर कर्जे होते चले जाते है और किसान कर्जों से छुटकारा पाने के लिए गलत रास्तों को अपनाने पर मजबूर हो जाते है। रेखा शाक्य ने सरकार से अपील की यदि किसानो के हर तरह के कर्जे सरकार माफ कर दे तो किसानो मे खुशहाली आयेगी और किसान खुशी से दोगुनी मेहनत से काम कर सकेंगे जिससे आने वाले समय में हरियाणा प्रदेश खुशहाल प्रदेश बन सकता है।
रेखा शाक्य ने कहा कि सरकार किसान कमेरे की बात जरूर करती है लेकिन किसानों के कर्जे माफ नहीं करती, बिजली बिलों मे छूट नहीं देती है, बीजों व खादों मे अलग से कोई फायदे वाली स्कीमें आदि नहीं देती है, समय पर किसानों की फसलें नहीं खरीदती है, अच्छे भाव नहीं देती, जिस कारण किसान हर तरह से मर रहा है और कर्जों के कारण किसानों के बच्चे अच्छी शिक्षा नही ले पाते है और किसान व उनका परिवार अपना सारा जीवन कर्जों मे डूबे रहकर ही गुजार देते है। बहुत से किसानों को तो कर्ज के कारण अपना व परिवार का पालन पोषण करना भी मुशिकल हो जाता है जो हमारे प्रदेश के लिए दुर्भाग्य की बात है। रेखा शाक्य ने कहा कि जब पूंजीपतियों के कर्जे माफ हो सकते है तो हमारे अन्नदाताऔ के भी कर्जे माफ होने अति आवश्यक है।v