हिसार

आदमपुर प्रशासन छोटे दुकानदारों पर दें ध्यान, बड़े और छोटे दुकानदारों के लिए बने अलग—अलग नियम

आदमपुर,
लॉकडाउन के चलते सबसे ज्यादा तकलीफ में आए मध्यम वर्ग के छोटे दुकानदारों के लिए अब प्रशासन को नर्म रुख अख्तियार करना चाहिए। यह वर्ग ऐसी दुविधा में स्वयं को फंसा हुआ महसूस कर रहा है जो ना तो किसी के आगे रो सकता है और ना ही हंस सकता है। जी हां, हम बात कर रहे है टी—स्टाल, छोटे मोबाइल विक्रेता, पनवाड़ी, नाई, जनरल स्टोर, धार्मिक समान, जूती बनाने वाले जैसे काम करने वाले दुकानदारों की।

आदमपुर में प्रशासन ने सुबह 8 बजे से 4 बजे तक दुकानों को खोलने की अनुमति दे रखी है। इसकी मांग भी क्षेत्र के बड़े दुकानदारों ने की थी। बड़े दुकानदारों को तो इस समय अवधि से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ रहा लेकिन इसका सीधा नुकसान छोटे दुकानदरों को हो रहा है।

दो धारी तलवार पर छोटे दुकानदार
मध्यम वर्ग के ये छोटे दुकानदार इस समय दो धारी तलवार पर अपना जीवन काट रहे हैं। ये लोग ना तो समाजसेवी संगठनों या अन्य संस्थानों से सहायता ले सकते हैं और ना ही बिना आजीवका के परिवार का पालन पोषण कर पा रहे हैं। ये छोटे दुकानदार रोजाना महज 200 से 300 रुपए कमा कर परिवार का पालन—पोषण करते हैं। ऐसे में पिछले करीब—करीब 1 माह तक बेरोजगारी में काटने से ये कर्ज के तले दबे हुए हैं। अब प्रशासन ने दुकानें खोलने की इजाजत दी तो इनके चेहरे पर रौनक भी लौट आई।

ना दान का खा सके और ना कमा के
करीब एक माह के दौरान यह मेहनतकश वर्ग ना तो समाजसेवियों द्वारा बांटे जा रहे भोजन को मांगकर खा सके और ना ही दुकान पर काम करके कमाकर खा सके। ऐसे में इन पर किरयाणा वालों की उधार चढ़ गई। अब सरकार ने काम करने की इजाजत दी तो इसको राहत मिली है। लेकिन ऐसे में भी प्रशासन ने समय सीमा को घटाकर इन पर कुठारघात किया है।

समय बढ़ाकर दे राहत
अब प्रशासन को इन छोटे दुकानदारों ने भविष्य के लिए सोचना चाहिए। इनकी दुकानों के खोलने का समय केंद्र सरकार की सलाह के अनुसार सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक करना चाहिए। सर्तकता के नियमों के साथ इनको दुकान 12 घंटे खोलने की इजाजत देने से ये स्वयं को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में काफी हद तक कामयाब भी हो जायेंगे। पिछले एक माह में इन दुकानदारों पर राशन—पानी का ही कर्ज हो चुका है। वहीं अब स्कूल संचालक भी बच्चों की मासिक फीस के मैसेज करने लगे हैं। ऐसे में इन दुकानदारों को काम करने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए।

बने अलग—अलग नियम
होलसेलर या बड़े दुकानदारों के लिए प्रशासन अलग से नियम बना सकता है। इनके प्रतिष्ठान खुलने और बंद करने का समय निश्चित करके छोटे दुकानदारों की मदद की जा सकती है। यदि बड़े दुकानदार दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक प्रतिष्ठान बंद करके चले जायेंगे तो ग्राहक इन छोटे दुकानदारों के पास आने को मजबूर होगा। इससे मध्यम वर्ग के इन दुकानदारों की स्वाभिमान के साथ प्रशासनिक मदद भी हो जायेगी।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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