समिति ने सीताराम शुक्ला के बयान को भी ब्राह्मण विरोधी बताया
सभी धर्मों का सम्मान करते हुए हर धर्म के कर्मकांडी को दी जाए प्रोत्साहन राशि, खासकर हिंदुओं से भेदभाव क्यों
हिसार,
भगवान परशुराम जन सेवा समिति ने पंचकूला स्थित अंतरराष्ट्रीय अद्भुत कार्यालय के संचालक शास्त्री सीताराम शुक्ला के उस बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की थी कि प्रदेश के सभी मंदिरों को सरकार के अधीन लिया जाए ताकि ब्राह्मणों को रोजगार मिल सके। समिति ने कहा कि सीताराम शुक्ला का यह बयान पूरी तरह से ब्राह्मण विरोधी है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
भगवान परशुराम जन सेवा समिति के संस्थापक योगेंद्र शर्मा एवं वरिष्ठ सदस्य समाजसेवी विजय ढल ने कहा कि मंदिरों को अधिग्रहण करने से सनातनी व्यक्तियों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी क्योंकि भगवान भाव के भूखे होते हैं ना कि किसी डिग्री या उपाधि के। अगर शुक्ला जी को अपने समाज की इतनी पड़ी है तो पूर्व में शास्त्री के पद पर सिर्फ शुक्ला जी जैसे लोगों की भर्ती होती थी। उन्हें इस तरह के वाहियात बात करने की बजाय अपने पढ़ी लिखी आचार्य ज्ञाताओं को शास्त्री के पद की भर्ती के लिए सरकार से रक्षित करने की मांग करनी चाहिए क्योंकि पहले भी यह पद आचार्य शास्त्रियों के लिए आरक्षित थी। उन्होंने चंडी मंदिर पंचकूला का अधिग्रहण किये जाने को भी हिंदू धर्म विरोधी फैसला करार दिया और कहा कि इसको पूर्व की भांति किया जाए।
योगेन्द्र शर्मा एवं विजय ढल ने कहा कि भगवान परशुराम जनसेवा समिति समिति मंदिरों को अधिग्रहण करने को कभी उचित नहीं मानती और अगर सरकार द्वारा इस तरह कोई भी कदम उठाया गया तो उसका पुरे सनातनी लोगों को साथ लेकर पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के फैसले के खिलाफ जो भी आंदोलन करना होगा समिति सभी लोगों के साथ मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी विश्वभर में फैली हुई है और हर कोई इससे प्रभावित है। सबका कामकाज प्रभावित हुआ, जिसके चलते समिति सरकार से पहले ही मांग कर चुकी है कि हर धर्म के कर्मकांड करने वालों को 20 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से सहायता राशि दी जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि देश व प्रदेश में सभी धर्मों का समान रूप से आदर किया जाए और जिस तरह कई प्रदेशों में मुस्लिम व इसाई धर्म में कर्मकांड करने वालों को प्रोतसाहन राशि दी जाती है, उसी तरह हिंदू व अन्य धर्मों के कर्मकांडियों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाए।
योगेन्द्र शर्मा व विजय ढल ने कहा कि देश में कहीं न कहीं संतो की हर रोज हत्या के मामले सामने आ रहे हैं, उनसे मारपीट की जा रही है, उसी के साथ सरकार उनके मठ और मंदिरों का अधिग्रहण कर रही है। सरकार के इस तरह के निर्णय हिंदू विरोधी है जबकि सरकार अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों का अधिग्रहण क्यों नहीं करती। आज इस महामारी के चलते हिंदू मंदिरों ने, हिंदू धर्म के अनुयायियों ने, मठों ने व साधु-संतों ने धार्मिक व सामाजिक लोगों से मिलकर देश की जनता को आसरा दिया है। मिलकर उन्हें भोजन करवाने का काम किया है इस लॉकडाउन के दौरान देश की जनता का हर प्रकार से ख्याल रखा है। सरकार एक तरफ तो बात करती है कि एक देश एक कानून है, ऐसे में अगर सरकार देश के सभी लोगों को बराबर लेकर चलना चाहती है तो सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों के लिए एक कानून होना चाहिए या फिर हिंदू धर्मों के मंदिरों व मठों का अधिग्रहण क्यों, या तो साफ-साफ कह दिया जाए कि हिंदू धर्म के लोगों का इस देश पर कोई अधिकार नहीं है, उन्हें अन्य किसी देश में भेज दिया जाए या फिर उनको सम्मान सहित इस देश में रहने की व जीने की की इजाजत मिले। अगर ऐसा नहीं होता है तो देश के सभी धार्मिक व सामाजिक संगठन मिलकर एक देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत करेंगे जिसकी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की होगी।