आदमपुर,
लॉकडाउन पार्ट टू के दौरान हलवाईयों की दुकान बंद रही। लेकिन लॉकडाउन पार्ट थ्री के दौरान ही हलवाईयों की दुकानें खोलने का आदेश आ गया। इसके बाद आदमपुर में हलवाईयों की दुकानें खुलनी आरंभ हो गई। शुरुआत में हलवाईयों को भय था कि कोरोना उनकी दुकानदारी पर काफी विपरीत असर छोड़ेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, आदमपुर के लोगों ने हलवाईयों की दुकान खुलते ही मिठाई की डिमांड शुरु कर दी।
दूध की मिठाईयों की बिक्री कम
आदमपुर के लोग जलेबी, बूंदी और लड्डू जमकर खरीद रहे हैं। शुरुआती दौर में दूध से बनी मिठाईयों से थोड़ी दूरी बनाई। लेकिन अब काफी हद तक दूध की मिठाईयां लुभाने जरुर लगी है, परंतु अभी तक ज्यादा बिकने वाली सूची में शामिल नहीं हो पाई है। मिठाईयों के बाद यहां हलवाईयों के पास सबसे अधिक बिकने वाले आइटम में समोसे, कचौरी, मटर और मोटे भुजिया है।
दही भल्ले और गोलगप्पों की बुरी दशा
आदमपुर में मिठाईयों पर तो कोरोना का असर नहीं पड़ा लेकिन दही भल्लों और गोलगप्पों की बिक्री बिल्कुल डाउन हो गई है। हालत ये है कि पहले जहां एक हलवाई रोजाना 3 से 4 हजार रुपयों के गोलगप्पे और दही भल्ले बेच देते थे वो अब 200 से 300 रुपयों की बिक्री के लिए भी तरस गए है।
जलेबी, बूंदी और लड्डू ने रखा मान
आदमपुर के हलवाईयों की माने तो जलेबी, बूंदी और लड्डू ने ही उनके बिजनेस को चौपट होने से बचा रखा है। लोगों को ताजी जलेबी, बूंदी और लड्डू पसंद आ रहे है। जलेबी की मांग सदाबाहर बनी हुई है जबकि बूंदी और लड्डू की मांग मंगलवार को सबसे अधिक होती है। इसके अलावा आम दिनों में भी बूंदी और लड्डू की औसत बिक्री हो जाती है।
60 प्रतिशत काम में कमी
हलवाईयों का कहना है कि ग्राहक दुकानों पर आ रहे हैं लेकिन पहले की तुलना में 60 प्रतिशत काम कम हुआ है। अब केवल घर पर मिठाई ले जाने वाले ही ग्राहक ही आ रहे हैं, दुकानों में बैठकर खाने वाले ग्राहकों की संख्या नाममात्र है। ग्रामीण ग्राहकों के न आने का दंश भी हलवाईयों को सता रहा है। इसके चलते गोलगप्पे, दही भल्ले, ढोकले, कुल्फी जैसे समानों की बिक्री करीब—करीब ठप्प हो गई है।
मंदिर बंद होने का पड़ा असर
हलवाईयों का कहना है कि मंदिरों के बंद होने का असर भी उनके धंधे पर पड़ा है। मन्नत मांगने वाले और सवामणी का प्रसाद लेने वाले अब नहीं आ रहे हैं। उम्मीद है मंदिरों के खुलने के बाद उनका काम पटरी पर लौट आयेगा।