हिसार,
मां भ्रामरी देवी बनभौरी धाम चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से निर्जला एकादशी के अवसर पर सुबह से शाम तक अनेक स्थानों पर स्वदेशी शीतल पेय वितरित किया। इस दौरान सोशल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखते हुुए लोगों को कोरोना के प्रति जागरूकता के बारे में भी बताया गया।
ट्रस्ट के मुख्य महाप्रबंधक सुरेन्द्र कौशिक के नेतृत्व में शहर के सेक्टर 14, पारिजात चौक, लघु सचिवालय सहित अन्य क्षेत्रों में स्वदेशी शीतल पेय, जीरा, ऑरेंज, लेमन व शिकंजी की बंद बोतलें वितरित की गई। इस अवसर पर सुरेन्द्र कौशिक ने कहा कि निर्जला एकादशी व्रत का समस्त एकादशियों में सबसे ज्यादा महत्व है। एकादशी दो तरह की होती है एक शुद्धा और दूसरी वेद्धा। यदि द्वादशी तिथि को शुद्धा एकादशी दो घड़ी तक भी हो तो उसी दिन व्रत करना चाहिए। शास्त्रों में दशमी से युक्त एकादशी व्रत को निषेध माना गया है। निर्जला, यानी बिना पानी के उपवास रहने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत और उपवास करने से व्यक्ति को दीर्घायु तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है। इस अवसर पर सुरेन्द्र कौशिक के अलावा राजकुमार गौड़, प्यारेलाल, जय पूनिया, राकेश कौशिक, विरेन्द्र ग्रेवाल, प्रतीक व अनिल कुमार सहित अन्य पदाधिकारी व सदस्य भी थे।