हिसार,
सरकार ने डॉ. वीरेंद्र सिंह आर्य को हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (हरसैक) के निदेशक के रूप में पदोन्नत किया है। वे दिसंबर 2018 से हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, हिसार के कार्यवाहक निदेशक के रूप में काम कर रहे थे। दृढ़ इच्छा शक्ति और बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व होने के नाते, उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी उपस्थिति साबित की है। उन्होंने स्नातक में बीएससी (ऑनर्स), पोस्ट ग्रेजुएट तथा डॉक्टरेट (पीएचडी) यूएनडीपी फैलोशिप के साथ मृदा विज्ञान में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से उत्कृष्ट परिणाम के साथ संपन्न किया और “पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, रिमोट सेंसिंग से कृषि और मृदा”, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग (IIRS), देहरादून से डिस्टिंक्शन के साथ संपन्न किया। उन्होंने हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (हरसैक), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, हरियाणा सरकार में 1992 में सहायक वैज्ञानिक (मृदा) के रूप में पद ग्रहन किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुति के लिए एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया का दौरा भी किया। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पत्रिकाओं में तकनीकी रिपोर्ट सहित 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए और विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए 50 से अधिक विशेष परियोजनाएं संपन्न कीं। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस पर 60 से अधिक प्रशिक्षणों का समन्वय किया और लगभग 35 छात्रों को अपने पीएचडी, एम.टेक. और एम.एस.सी. कार्यक्रम हेतु निर्देशित किया। उन्होंने 30 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लिया और ऐसे सेमिनारों में दर्जनों सत्रों की अध्यक्षता की। उन्हें एम.एस.सी. (भूगोल), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए बाहरी परीक्षक के रूप में कई वर्षों तक लगातार नियुक्त किया गया।
अपनी प्रतिभा को पुनः साबित करते हुए, उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), नई दिल्ली द्वारा मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण (एसएलयूएसआई), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार में मुख्य मृदा सर्वेक्षण अधिकारी के पद पर 2015 में प्रतिनियुक्ति के लिए चुना गया, और वे वहां पर जनवरी, 2018 तक पदस्थापित रहे। यह संगठन (एसएलयूएसआई) देश में मिट्टी सर्वेक्षण और भूमि संसाधन मान चित्रण के लिए एक सर्वोच्च संस्थान है। यह संस्थान, नोएडा, कोलकाता, नागपुर, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और रांची में स्थित सात केंद्रों के माध्यम एवं नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से मिट्टी सर्वेक्षण गतिविधियों का संचालन करता है। अपने पूरे कार्यकाल के दौरान उन्हें कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMSA)के सदस्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।
हरसैक में उनकी अनुपस्थिति और जन संसाधन की कमी के अलावा कार्य भार को ध्यान में रखते हुए, उन्हें 2018 में मूल संगठन यानी हरसैक, हिसार को पुनर्जीवित करने और समर्थन देने के लिए वापस बुलाया गया था। नवंबर 2018 में तत्कालीन मुख्य वैज्ञानिक, हरसैक की सेवानिवृत्ति के पश्चात्, डॉ. वीएस आर्य ने मार्च 2018 में मुख्य वैज्ञानिक का पदभार संभाला तत्पश्चात् मार्च 2019 में हरसैक के कार्यकारी निदेशक के रूप में पुनः नियुक्त किये गए।
उन्होंने विभिन्न मंचों पर विभाग के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त किये। उन्हें राष्ट्रीय सम्मेलनों/कार्यशालाओं में सर्वश्रेष्ठ तकनीकी पेपर का अनेक बार पुरस्कार मिला। हाल ही में, उन्हें प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार द्वारा 2018-19 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर ई-गवर्नेंस में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। 26 जनवरी 2019 को भारत की गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर, उनके अनुकरणीय कार्य के लिए माननीय मुख्यमंत्री, हरियाणा द्वारा और उन्हें गणतंत्र दिवस, 2011 के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा भी सम्मानित किया गया। इनके अतिरिक्त, वह विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों के माध्यम से वैज्ञानिक गतिविधियों में भी शामिल है। वर्तमान में वह 2018 से इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (ISRS), हिसार चैप्टर के एक निर्वाचित अध्यक्ष हैं और ISRS के चार साल (1996-2000) से लगातार सचिव भी रहे हैं। उन्होंने राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी (SLNA) के सदस्य के साथ-साथ एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम (IWMP) के लिए राज्य स्तरीय तकनीकी समिति के सदस्य के रूप में भी काम किया।
निदेशक के अत्यधिक प्रयासों के साथ, हरियाणा में लगभग सभी उपयोगकर्ता विभागों की जरूरतों को पूरा करने के लिए HARSAC, 29 से अधिक परियोजनाओं में कार्यरत है। इसके अलावा, HARSAC जिला प्रशासन की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके कार्य स्थल पर जिला स्तर पर जी.आई.एस. प्रयोगशाला आरम्भ करने जा रहा है एवं हरसैक की सक्रिय भागीदारी के साथ जियो-सूचना विज्ञान सहायक (Geoinformatics Assistant) में एक कोर्स भी शुरू किया गया है जो हरियाणा के दस से अधिक राजकीय आई.टी.आई. में चल रहा है।