हिसार

अभिकलन की तकनीकों का शोध में महत्वपूर्ण योगदान : प्रोफेसर केपी सिंह

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘अनुप्रयुक्त विज्ञान के लिए कम्प्युटेशनल तकनीक’ विषय पर वेबिनार शुरू

हिसार,
अभिकलन की तकनीकों का कृषि विज्ञान, अनुप्रयुक्त विज्ञान व व्यावहारिक विज्ञान के शोध में हमेशा से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान समय मेें कम्प्यूटर तकनीकों के विकास के कारण इसकी भूमिका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से मौलिक विज्ञान और मानविकी महाविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय वेबिनार के शुभारंभ पर कही। उन्होंने कहा कि सत्तत अनुकरण, कृत्रिम तकनीकों व आंकड़ा विश्लेषण का कृषि वैज्ञानिकों व अनुप्रयुक्त वैज्ञानिकों के शोध कार्यों को शिखर पर पहुचाने में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होने आशा व्यक्त की कि यह वेबिनार सभी प्रतिभागियों के शिक्षा व शोध कार्यों को आगे बढ़ाने में लाभदायक सिद्ध होगा। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत व महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजबीर सिंह ने इस वेबिनार के सफल आयोजन के लिए आयोजकों की सराहना की। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मंजू सिंह टांक ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया और बताया कि वेबिनार के लिए लगभग 430 प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया था और 240 से अधिक प्रतिभागी इस वेबिनार में शामिल हुए हैं। वेबिनार के दौरान छात्रों, शिक्षकों, विद्वानों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने वक्ताओं के साथ प्रश्नोत्तर भी किए। इस वेबिनार में गणित व सांख्यिकी विषय के शोध कार्यों का उल्लेख करते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से डॉ. पूनम रेढू व थापर विश्वविद्यालय, पटियाला से डॉ.ईशा धीमान ने अपने विचार रखे। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मंजू सिंह टांक ने बताया कि वेबिनार के दूसरे चरण में अमेटी यूनिवर्सिटी नोएडा से डॉ. नीरज कुमार और राजकीय महाविद्यालय नलवा से डॉ. कोमल मलिक अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। वेबिनार का संचालन विभाग की शोध छात्राओं प्रीति व फागुन मेहता ने किया।

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