हरियाणा हिसार

हिसार आईजी को सलाम! नशेड़ियों को लगे सुधारने में, 20 युवकों से हुई शुरुआत

कैसे बने नशेड़ी—जानें उनकी ही जुबानी

हिसार,
हिसार मंडल के आईजी राकेश कुमार आर्य नशे को जड़ से मिटाने के लिए एक नई मुहिम में जुटे हुए हैं। वे नशेड़ियों को पकड़ की जेल भेजने के स्थान पर उनको सुधारने का काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने ड्रग्स का सेवन करने वाले 20 युवकों से अभियान आरंभ किया। सार्थक परिणाम आते ही अब पूरे मंडल स्तर पर इस अभियान को आरंभ करने जा रहे हैं।
आईजी राकेश कुमार आर्य का कहना है कि ड्रग्स तस्करों पर सख्ती से काम किया जायेगा, लेकिन नशे की चपेट में आए युवकों को सुधार कर फिर समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जायेगा। इसके लिए समाजसेवी संगठनों व अन्य लोगों का सहयोग लिया जायेगा।
20 युवकों से शुरु हुआ अभियान
आईजी ने बताया कि 20 नशे के आदि युवकों की पहचान कर इनको सही राह पर लाने के लिये शुरुवात की गई। इन युवाओं की अच्छी काउंसलिंग तथा मनोरोग विशेषज्ञ से इलाज करवाया जा रहा है। इनके घर एवं मौहल्ले के वातावरण को सुधारने के लिये विशेष प्रयास किए जा रहे है। कार्यालय की पीआरओ शाखा द्वारा लगातार सम्पर्क बनाकर इन्हें पूरी तरह से जिम्मेदार नागरिक बनाने का प्रयास चल रहा है।
ऐसे चलेगा अभियान
आईजी के अनुसार, इस अभियान में नशे की गिरफ्त में आ चुके युवकों के साथ उनके घर व मौहल्ले के लोगों की भी काउंसलिंग करवाई जायेगी। योग्य मनोचिकित्सक से उपचार करवाया जायेगा। लोगों का सहयोग लेकर जागरुकता कैम्प लगवाये जायेंगे। इन युवाओं को भी अपना काम—धन्धा शुरु करने के लिये प्रेरित किया जायेगा। इसके लिए उनका पूर्ण सहयोग भी किया जायेगा। बाद में, अन्य युवाओं को ड्रग्स के दलदल से निकलने के लिये इन युवाओं का सहयोग लिया जायेगा। अच्छा कार्य करने पर इन युवाओं को समय—समय पर सम्मानित किया जायेगा। शीघ्र ही इस अभियान को सारे मंडल मे लागू किया जायेगा।
ऐसे बन रहे हैं युवा नशेड़ी
ड्रग्स के जाल में फंसे अधिकतर नशेड़ी युवा है। इनकी उम्र 20 से 35 वर्ष के बीच है। इनमें से 70 प्रतिशत युवा 10वीं से ज्यादा पढ़े हुए है। करीब 80 प्रतिशत युवाओं में ड्रग की लत का मुख्य कारण नशेड़ियों की संगत मिली। वहीं कुछ ने बताया घर का माहौल अच्छा नहीं था। घर में रोज—रोज के झगड़े से परेशान होकर नशे की तरफ रुख किया। वहीं कुछ ऐसे भी मिले जो घर में प्रताड़ना तथा घर के बड़ों द्वारा किये जाने वाले भेदभाव के कारण ज्यादातर समय घर से बाहर रहे और गलत लोगों की संगत के पड़ में पड़ गए। नादानी के कारण व एक—दुसरे को नशा करते देख एक-दो बार ड्रग इस्तेमाल करने वाले भी मिले। इसके बाद वे नशे के जाल में फंसते चले गए। ऐसे अधिकतर युवाओं ने पहले सुल्फा लिया, फिर स्मैक और फिर चिट्टे पर आ गए।
गुस्से ने बना दिया नशेड़ी
सुधरने की लाइन में खड़े एक युवक ने बताया कि मेरा चचेरा भाई नशेड़ी था। उसने एक बार मुझे जबरदस्ती ड्रग्स देने का प्रयास किया। उसने उस समय सख्ताई से मना कर दिया। इसके दो दिन बाद घरवालों से किसी बात पर झगड़ा हुआ। उस समय बहुत ज्यादा तनाव में आ गया। इस तनाव व गुस्से में मैंने चचेरे भाई को फोन किया। उसने मुझे अपने पास बुलाया व मुझे चिट्टे का नशा करवा दिया। इसके बाद में लगातार चिट्टा लेने लगा। मेरी लापरवाही व गुस्से ने मुझे नशेड़ी बना दिया। अब मैं नशे को छोड़कर फिर से नया जीवन जीना चाहता हूं।
नशेड़ी ऐसे बनते है अपराधी
नशे के कुचक्र में फंसे इन युवाओं ने बताया कि ड्रग्स के बिना तड़फते देख उन्हें बचाने के लिये घरवाले भी ड्रग्स के लिये पैसे दे देते हैं। ड्रग्स का आदि होने के बाद एक दिन में कम से कम 800 रुपए का ड्रग्स रोजाना चाहिए। इसके बाद भी पूरा दिन काफी मुश्किल से गुजरता है। इसके लिए अपनी कमाई के साथ-साथ घरवालों से पैसा लेना पड़ता है। हर समय चिन्ता रहती है कि ड्रग्स के लिये पैसे कहां से आयेगा। रुपयों के इंतजाम के लिए लगातार प्लानिंग करते रहना पड़ता है। जब पैसे का इंतजाम नहीं होता तो छिन्ना—झपटी और घर—बाहर से समान भी चुराना पड़ता हैं। नशा न मिलने की सूरत में कुछ भी किया जा सकता है। इसके बाद पैसे के इंतजाम के लिए कोई भी अपराध करना पड़े—वे करने को विवश हो जाते हैं।
जान की परवाह नहीं
ड्रग्स की गिरफ्त में आने के बाद जान की परवाह नहीं रहती। शुरुआत में चिट्टे को नाक के जरिए इन्हेल किया जाता है। लेकिन बाद में नशे को लम्बे समय तक चलाने के लिए इन्जेक्ट किया जाने लगता है। हर 2 से 3 घंटे के बाद ड्रग्स की डोज चाहिए।
आईजी के अभियान से जागी आशा
सुधरने की लाइन में खड़े 20 युवाओं का कहना है कि नशे की जिंदगी काफी जिल्लत भरी होती हैं। वे चाहकर भी इससे बाहर नहीं निकल पा रहे थे। अब हिसार आईजी के अभियान से उनकी आशा जागी है। वे नशे को छोड़कर फिर से नई जिंदगी जीना चाहते हैं। ​ऐसी जिंदगी जिसमें ईज्जत हो और समाज के लोग उनकी भी पहले की तरह कदर करे। इन युवाओं का कहना है कि आईजी साहब ने सच में उनको नई जिंदगी देने का काम किया है। वे हमारे लिए किसी फिरश्ते से कम नहीं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk