हिसार,
हरियाणा मंत्रीमंडल की गत दिवस चंडीगढ़ में 42 सूत्री एजेंडा मुद्दों पर हुई महत्वपूर्ण बैठक ने गत 23 दिन से प्रदेश भर में आंदोलनरत 1983 बर्खास्त पीटीआई शिक्षकों तथा एक हजार छंटनी किए गए योग वॉलंटियरों को निराशा की ओर धकेल दिया है। यह बात आज अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन एमएल सहगल ने एक बयान जारी कर कही। बयान में उन्होंने मंत्रीमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बैठक में लिए गए फैसलों आधीन वर्तमान में कार्यरत तीन लाख गु्रप सी व डी, अध्यापक वर्ग सहित सभी को 31 मार्च 2022 तक प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसके लिए हरियाणा राज्य प्रशिक्षण नीति 2020 बनाई जा रही है। सहगल ने आगे कहा कि इसी तर्ज पर हरियाणवी युवाओं को निजी कंपनियों, फर्म व उद्योगों में होने वाली भर्ती में 75 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, जिसे लागू करने के लिए हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अध्यादेश-2020 का ड्राफ्ट तैयार किया गया है तथा इसकी शीघ्र अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसमें यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस अधिनियम आधीन भर्ती करने हेतू रोजगार प्रादात क्या नियमावली अपनाएंगे।
राष्ट्रीय चेयरमैन एमएल सहगल ने कहा कि मंत्रीमंडल की बैठक में मजदूरवर्ग विरोधी एक और फैसला किया गया है कि प्रदेश में अब जो नया उद्योग लगेगा उस पर 1000 दिन अर्थात तीन साल तक किसी प्रकार के श्रम कानून लागू नहीं होंगे। इससे स्पष्ट है कि इन उद्योगों में श्रमिक गुलामी व बंधुआ जीवन निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले केंद्र सरकार भी 44 श्रम कानूनों को चार श्रमिक कोड बनाकर पूंजीपतियों के पक्ष में श्रम कानूनों का मुख मोड़ चुकी है, जिसे लागू करने के लिए प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार तत्पर दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा कर्मचारी महासंघ, सर्व कर्मचारी संघ, सभी अध्यापक संगठन संघर्षरत पीटीआई अध्यापकों के समर्थन में उनके आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने हठधर्मिता को छोड़ कर बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों की सेवाएं बहाल करने तथा सेवाकाल के दौरान मृतक पीटीआई अध्यापकों के परिवार को देय लाभ पर रोक लगाने जैसी नीति को वापस नहीं लिया गया तो कोरोना महामारी के भीतर ही निर्णायक आंदोलन होना तय है।
next post