हिसार,
सरकारी महकमों के निजीकरण के खिलाफ, तीनों कृषि अध्यादेशों को रद्द करने, इन्कम टैक्स ना देने वाले हर परिवार को 6 महीने के लिए 7500 रुपए प्रतिमाह देने, हर व्यक्ति को 10 किलो अनाज 6 महीने के लिए फ्री देने आदि मांगों के साथ माकपा ने विरोध प्रदर्शन किया। क्रांतिमान पार्क में सैंकड़ों महिलाओं और पुरुषों ने सभा की और शहर के अंदर नारे लगाते हुए मोटरसाइकिल जत्था निकाला। प्रदर्शन की अध्यक्षता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व जिला पार्षद कामरेड सुरेश कुमार ने की जबकि संचालन कामरेड मोहन लाल राजली ने किया।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए पार्टी के कार्यवाहक जिला सचिव दिनेश सिवाच ने कहा कि मोदी सरकार आपदा को मनमानी के अवसर में बदल रही है। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। दुनिया में कुल संक्रमितों की संख्या की दृष्टि से भारत तीसरे नंबर पर है, जबकि रोजाना वृद्धि के मामले में पहले नंबर पर पहुंच चुका है। समय रहते उचित कदम उठाए गए होते तो इसे फैलने से रोका जा सकता था। मोदी सरकार का आचरण इसे रोकने में लापरवाही का ही नहीं बल्कि इसे फैलने देने का ज्यादा रहा है। फरवरी के अंत में अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप का कार्यक्रम, दिल्ली दंगे भडकाने, तबलीगी जमात का 20 मार्च को दिल्ली में कार्यक्रम की इजाजत देना, मध्यप्रदेश सरकार का तख्तापलट करके 23 मार्च को भोपाल में बीजेपी सरकार की ताजपोशी का कार्यक्रम, लॉकडाऊन के दौरान रोजी-रोटी का साधन खो चुके प्रवासियों की बेकद्री के कारण करोड़ों की संख्या में बच्चे, बूढ़ों, गर्भवती महिलाओं समेत पलायन का दर्दनाक नजारा भूलाए नहीं भूला जा सकता। उन्होंने कहा कि कई देशों की सरकारों ने, जिन्होंने जनपक्षीय राजनीति को अपनाया वे न सिर्फ अपने देशों में इस महामारी को रोक पाने में कामायब हुए बल्कि उन्होंने जनता को भरपूर आर्थिक इमदाद देकर अर्थव्यवस्था और रोजगार को भी सम्भालने में सफलता पाई है। मोदी सरकार ने आपदा को अपनी राजनीति को लागू करने के एक माकूल अवसर के रूप में देखा है। जिन नीतियों को सामान्य हालात में लागू करने पर जन प्रतिरोध का सामना करना पड़ता, उन्हें जनलामबंदी की पाबन्दियों के चलते ताबड़तोड़ ढ़ंग से लागू कर रही है। बिना संसद और राज्य सरकारों को पूछे खेती में बुनियादी परिवर्तन के तीन अध्यादेश जारी किए हैं।
फसलों की सरकारी खरीद, सरकारी भंडारण और सरकारी राशन वितरण व्यवस्था को खत्म करने का रास्ता तैयार किया गया है। आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और सट्टेबाजारी को कानूनी इजाजत दी गई है। देश-विदेश की बड़ी पूंजी के लिए ठेका खेती का रास्ता खोला गया है। भारतीय रेल, रोडवेज, बिजली का क्षेत्र, कोयला खनन, पैट्रोलियम, बैंक, बीमा, देश के रक्षा उत्पादन के उपक्रम इत्यादि तमाम सार्वजनिक उपक्रमों और बहुमूल्य संपदा को देश-विदेश के पूंजीपति घरानों को बेचा जा रहा है। आपदा के इस दौर में मोदी सरकार ने पैट्रोल पर 13 रू. प्रति लीटर और डीजल पर 16 रूपए प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स लगाया है। किसानों, मजदूरों, छोटे कारोबारियों के कर्जे माफ करने की बजाय बड़े पूंजीपतियों के कई लाख करोड़ के कर्ज माफ किए हैं।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पार्टी राज्य कमेटी सदस्य सुखबीर सिंह ने मेहनतकश जनता के तमाम तबकों, धर्मनिरपेक्ष-जनतंत्र प्रेमी नागरिकों और संगठनों से मनमानी कर रही मोदी सरकार पर नकेल डालने के लिए से संगठित होकर विरोध करने की अपील की।
इस अवसर पर प्रोफसर अत्तर सिंह, मनोज सोनी, लीलू राम जांगड़ा, चंदगी राम, रत्न मात्रश्याम, रणधीर सिंह, वीरेंद्र दुर्जपुर, निर्मला, सरोज आदि उपस्थित थे।