कई—कई माह बीत जाने पर भी नहीं दी जाती सूचनाएं, मांगी सूचना को फुटबाल बना रहे अधिकारी
कानून पर अधिकारी कितने हैं संजीदा, बता रहे हैं कर्मचारी नेता एम.एल. सहगल
हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)। शासन व प्रशासन के कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया आरटीआई एक्ट—2005 समय के साथ—साथ धीमा पड़ने लगा है। इसी के चलते अधिकारियों ने अब इसे गंभीरता से लेना बंद कर दिया है और आरटीआई लगाने वालों को समय पर सूचनाएं मुहैया नहीं हो पा रही है। ऐसी हालत केवल जिला अधिकारियों तक ही नहीं बल्कि राज्य मुख्यालय तक पैदा हो गई है।
आरटीआई के प्रति अधिकारी वर्ग व राज्य सूचना आयोग कितना गंभीर है, इसको बेनकाब किया है हिसार के आरटीआई कार्यकर्ता एवं अखिल भारतीय कर्मचारी परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.एल. सहगल का। पिछले काफी समय से आरटीआई का सहारा लेकर कर्मचारी हित में काम करने वाले एम.एल. सहगल का कहना है कि अब अधिकारी आरटीआई के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं। तय समय में सूचना नहीं दी जाती, कभी—कभार आधी अधूरी सूचना दे दी जाती है और अपील करने के बाद आधी अधूरी सूचना देने वाले अधिकारी पर भी कोई कार्रवाही नहीं की जाती। कई बार तो ऐसी हालत पैदा कर दी जाती है जैसे कसूरवार कोई अधिकारी नहीं बल्कि आरटीआई लगाने वाला हो।
उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि 16 जून 2020 को उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के राज्य जन सूचना अधिकारी, कार्यालय महानिदेशक पंचकूला के नाम 6 सूत्री बिंदुओं पर आरटीआई के तहत सूचना मांगी। इसमें उन्होंने प्रदेशभर में स्वास्थ्य विभाग के अधीन सीएचसी, पीएचसी, नागरिक अस्पताल, मेडिकल कॉलेजों व पीजीआई रोहतक के अधीन कार्यरत लगभग 11 हजार स्पोर्टिंग स्टाफ का विवरण मांगा था। इसके अलावा वर्तमान डीसी रेट पर भर्ती ठेका प्रथा के तहत किन नियमों के अनुसार तथा कितने समय के लिए भर्ती की जाती है, कार्यरत 3200 सिक्योरिटी गार्ड के स्थान पर प्रस्तावित होमगार्ड भर्ती होने वाले कर्मचारियों संबंधी विवरण भी मांगा गया था।
एम.एल. सहगल के अनुसार आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर सूचना देनी होती है लेकिन उन्हें सूचना नहीं दी गई। इस पर उन्होंने 8 अगस्त 2020 को महानिदेशक कार्यालय के प्रथम अपील अधिकारी के नाम अपील भेजी। उसी कार्यालय के ए.एस.पी.आई.ओ.—कम—उप अधीक्षक ने पत्र क्रमांक 3213/2020/1053 दिनांक 11 अगस्त द्वारा आरटीआई नियम 2005 की धारा 6 (3) का लाभ उठाकर पूरा मामला राज्य लोक सूचना अधिकारी—कम—पीजीआई रोहतक को स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद पंडित भगवत दयाल शर्मा पीजीआई रोहतक कार्यालय के राज्य जन सूचना अधिकारी डा. रमेश वर्मा ने अपने पत्र क्रमांक एसपी10/पीजीआईएमएस/2020/6109 दिनांक 9 सितम्बर 2020 के द्वारा प्रार्थी के निवेदन पत्र के बिंदु—1 संबंधी सूचना का आंशिक विवरण भेजकर स्पष्ट शब्दों में लिख दिया कि दूसरे मुद्दों बारे विवरण उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। इससे स्पष्ट है कि महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग कार्यालय, पंचकूला ने राज्य जन सूचना नियम—2005 के प्रावधानों का जमकर मजाक उड़ाया।
एम.एस. सहगल यहीं पर नहीं रूके। राज्य जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपील अधिकारी कार्यालय द्वारा मांगी गई सूचना उपलब्ध न करवाए जाने पर उन्होंने दूसरी अपील राज्य जन सूचना आयोग हरियाणा, चंडीगढ़ के नाम 19 सितम्बर 2020 को प्रेषित की है। उनका कहना है कि आरटीआई एक्ट के प्रावधानों अनुसार जो सूचना 30 दिन, यानि एक माह में उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, वह सूचना साढ़े चार माह बाद भी अभी तक राज्य सूचना आयोग को दूसरी अपील दायर होने के बावजूद भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि राज्य जन सूचना नियम के नकारा होने का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह अधिकारियों पर कड़े निर्देश देकर उनसे इस एक्ट की पालना सुनिश्चित करवाए, अन्यथा यह कानून भी अन्य कानूनों की तरह अधिकारियों का मोहताज होकर रह जाएगा।