धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 611

पुराने समय में एक राजा के नगर में विद्वान संत पहुंचे। राजा तुरंत ही संत के पास गया और अपने महल में आमंत्रित किया। उसने संत की खूब सेवा की। राजा की सेवा से प्रसन्न होकर संत ने जाते समय उसे एक ताबीज दिया और कहा कि जीवन में परेशानियां खत्म नहीं हो रही हैं और आपको ऐसा लगे कि अब सब कुछ खत्म हो गया है, तब इस ताबीज में रखे एक कागज पर मंत्र लिखा है, उसे निकालकर पढ़ लेना, लेकिन ध्यान रहे उससे पहले ये ताबीज मत खोलना। राजा ने संत की बात मानकर ताबीज गले में पहन लिया।

कुछ दिन बाद राजा के नगर पर पड़ोसी शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया। बलवान शत्रुओं से राजा की सेना हार गई। किसी तरह राजा अपने प्राण बचाकर जंगल में भागा और एक गुफा में छिप गया। गुफा में उसे शत्रु सैनिकों के कदमों की आवाज सुनाई दे रही थी। राजा को लगा कि मैं फंस गया हूं, अब सब खत्म हो गया। ये सैनिक मुझे बंदी बना लेंगे और बहुत यातनाएं देंगे। इससे अच्छा तो है मैं आत्महत्या कर लेता हूं। तभी उसे संत के ताबीज की याद आई। राजा ने तुरंत ही ताबीज खोला और कागज निकाला। उस पर लिखा था कि ये समय भी कट जाएगा। ये पढ़कर राजा को थोड़ा सुकून मिला।
कुछ ही देर में सैनिक के कदमों की आवाज कम होने लगी। गुफा से झांककर राजा ने देखा तो सैनिक उस जगह से काफी दूर निकल गए थे। राजा तुरंत ही गुफा से बाहर निकला और अपने राज्य में पहुंच गया। इस तरह राजा के प्राण बच गए।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जीवन में अच्छे दिन हो या बुरे दिन, हमेशा नहीं रहते हैं। सुख और दुख, दोनों तरह के समय में ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि ये समय भी कट जाएगा। अच्छे दिनों में ऐसे कामों से बचें, जिनसे अहंकार बढ़ता है और बुरे दिनों में धैर्य से काम लें। इस बात का ध्यान रखेंगे तो परेशानियों से बचें रहेंगे।

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