कांग्रेस भवन मार्केट की दुकानें भी बंद नहीं करवा पाए कांग्रेस नेता, करते रहे पारिजात चौक पर नारेबाजी
हिसार,
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित भारत बंद का मिला-जुला असर रहा। शहरी क्षेत्रों में जहां दुकानें व व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले दिखाई दिए वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जनता बंद के साथ दिखाई दी और विभिन्न जगहों पर जाम लगाकर अपना रोष जताया। जिले के चारों तरफ लगे टोल प्लाजा के अलावा विभिन्न रास्तों को किसान संगठनों के आह्वान पर बंद किया गया। बंद शांतिपूर्ण रहा तथा जिले में कहीं से किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं है। बंद के दौरान प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी भी मुस्तैद रहे और इधर-उधर का दौरा करते रहे। खास बात यह रही कांग्रेस से जुड़े लोग कांग्रेस भवन मार्केट की दुकानें ही बंद नहीं करवा पाए और पारिजात चौक पर धरना देकर नारेबाजी करते रहे।
किसान सभा ने दावा किया है कि अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के आह्वाान पर हिसार जिले में ऐतिहासिक बंद रहा। जिला प्रधान शमशेर सिंह नंबरदार व प्रेस सचिव सूबेसिंह बूरा ने कहा कि आज के बंद में हर वर्ग ने पूर्ण सहयोग दिया। इसी तरह कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के समर्थन में व्यापारी, किसान व कर्मचारियों ने पारिजात चौक पर धरना प्रदर्शन हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग की अध्यक्षता में किया। प्रदर्शन के उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अंबानी व अडानी का पुतला जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जिसमें भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में एचपीएससी के पूर्व सदस्य जगन्नाथ, लीगल सैल के प्रदेश चेयरमैन लाल बहादुर खोवाल, हरियाणा टैक्स ट्रिब्यूनल के पूर्व सदस्य हरपाल बूरा, भूपेंद्र गंगवा, अश्वनी शर्मा, सीटू जिला अध्यक्ष कामरेड सुरेश कुमार, उप प्रधान कामरेड देशराज, आरसी जग्गा, आशा वर्कर यूनियन जिला प्रधान सीमा देवी, सीपीआईएम नेता दिनेश सिवाच, सुरेन्द्र मान, मनोज कुमार सोनी, पीटीआई यूनियन प्रधान विजय कुमार, रिटायर्ड कर्मचारी संघ प्रधान आनंद सांगवान, महिला समिति नेता निर्मला देवी, अनिल शर्मा, सत्यपाल अग्रवाल, गौतम नारंग, अजय सैनी, मंगल ढालिया, राजेंद्र चुटानी, अक्षय मलिक, श्रीराम राजलीवाला, सीताराम सिंगला, स्नेहलता निंबल, छत्रपाल सोनी, पंकज दीवान, बजरंग लाल असरावा, वीएल शर्मा, हरफूल खान भटी, चंद्रभान काजला, आदि नेताओं ने अपने विचार रखे।
दि रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन जिला हिसार ने किसानों के भारत बंद के समर्थन में जिला की सभी तहसील व उप तहसीलों में प्रधान व सचिव के नेतृत्व में गेट मीटिंग करते हुए किसानों की मांगों का समर्थन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से किसानों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की। एसोसिएशन के जिला सचिव बलबीर सिंह झाझडिय़ा सहित अनेक नेताओं ने इस अवसर पर विचार रखे।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणधीर सिंह पनिहार ने जिले में विभिन्न स्थानों पर भारत बंद का आह्वान कर रहे किसानों के धरनों पर पहुंचकर अपना समर्थन दिया। उन्होंने किसानों से कहा कि यह लड़ाई समूचे देश के किसानों की लड़ाई है और चौ. कुलदीप बिश्नोई के निर्देश पर कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता किसानों के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। रणधीर पनिहार ने कहा कि भाजपा को जिद्द छोडक़र किसानों की मांगे स्वीकार करके तुरंत तीनों कृषि बिलों को रद्द करने की घोषणा करनी चाहिए।
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के आह्वान पर आज किसान आंदोलन के समर्थन में मैय्यड़ टोल प्लाजा नेशनल हाईवे-9 पर आसपास के कई गांवों के किसानों ने धरना देकर प्रदर्शन किया। इस दौरान एमरजेंसी वाहनों व शादी के वाहनों को छोडक़र किसी भी वाहन को नहीं जाने दिया गया। प्रदर्शन में किसान सभा, किसान यूनियन, खेत मजदूर संगठन, जनवादी महिला समिति ने भी भाग लिया। धरने की अध्यक्षता किसान सभा के जिला अध्यक्ष शमशेर सिंह नंबरदार लाडवा व सोमवीर भगाना ने संयुक्त रुप से की। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने वालों में कर्मबीर कंवारी, आशा खन्ना, डा. वेदकौर पूनिया, सरोज बैनीवाल, गीता खोखा, कृष्ण लाडवा, बलदेव माइयड़, आजाद सिंह श्योराण, सुरेश खरड़, राजकुमार ठोलेदार, रामफल मिर्जापुर शामिल रहे।
किसान संगठनों के आह्वान पर मंगलवार को किए गए भारत बंद में गांव ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने बढ़चढ़ कर भागीदारी की। गांव देवां के पास गांव देवां, मुकलान, टोकस, पातन व गंगवा सहित कई गांवों के किसानों व आम लोगों ने धरना देकर अपना समर्थन व्यक्त किया और जमकर रोष प्रदर्शन किया। इस दौरान ग्रामीणों ने केंद्र सरकार से तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान इनेलो के नलवा हलका अध्यक्ष सतपाल काजला ने कहा कि देश के किसी भी किसान संगठन ने इन कृषि कानूनों की मांग नहीं की थी लेकिन केंद्र की सरकार ने कारपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए ये काले कृषि कानून बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन केवल किसानों से ही नहीं अपितु आम जनता से भी जुड़ा हुआ है।