हिसार,
श्री योग वेदांत सेवा समिति एवं युवा सेवा संघ द्वारा परम पूज्य संत आसाराम बापू के दिशा निर्देश से फरवरी माह में समिति सदस्य एवं श्रद्धालु जगह जगह पार्कों, स्कूलों आदि में जा कर मातृ-पितृ पूजन करवा कर उस के महत्व के बारे में बताते हैं। इसके अलावा विदेशी वेलेंटाइन डे जैसी कुप्रथा से समाज को पहुंचने वाली क्षति व कुप्रभाव से अवगत करवाते हैं। इसी कड़ी में साधकों ने स्थानीय सिरसा रोड पर स्थित श्री योग वेदांत संत आसाराम बापू आश्रम में पूरी श्रद्धा से मातृ पितृ पूजन दिवस मनाया। इस मौके पर उपस्थित साधकों, बच्चों,अभिभावकों को मातृ पितृ पूजन की महिमा के बारे बताते हुए आश्रम के प्रभारी श्रद्धेय संतोष भाई ने कहा कि हमारे लिए सबसे पूजनीय माता-पिता हैं। शास्त्रों में माता-पिता और गुरु का दर्जा भगवान से ऊपर बताया गया है। इसलिए हमारे जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण हमारे माता-पिता होते हैं क्योंकि वे जन्म से हमारा पालन-पोषण कर समाज में रहने के काबिल बनाते हैं। उनका ऋण हम कभी नहीं चुका सकते लेकिन मातृ-पितृ पूजन दिवस पर हम श्रद्धापूर्वक उन्हें नमन कर व उनकी पूजा कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व भक्ति प्रदर्शित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वो किस्मत वाले होते हैं, जिन्हें माता-पिता की सेवा करने का मौका मिलता है। भूले से भी इनका दिल नहीं दुखाना चाहिए बल्कि उन्हें हमेशा खुश रखना चाहिए। ऐसा करने से भगवान अति प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसलिए माता-पिता की सेवा करने का अवसर कभी नहीं चूकना चाहिए।
श्री योग वेदांत सेवा समिति एवं युवा सेवा संघ द्वारा फरवरी माह को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाए जा रहे कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों, अभिभावकों व श्रद्धालुओं के बीच आयोजित किए कार्यक्रम से पूर्व परम श्रद्धेय संतोष भाई ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि आज हमारे धर्मपरायण देश में विदेशी वेलेंटाइन-डे मनाया जाता है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है और यह एक कुरीति भारतीय समाज में अपने पैर पसार रही है। युवा पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण करते हुए वेलेंटाइन जैसी कुरीति को अपनाकर हमारी संस्कृति व रीति रिवाजों को भूलते जा रहे हैं। पश्चिमी देशों में जो फूहड़पन व असभ्यता है उसे हमारे युवा अपना रहे हैं जो कि गलत है। इसी को देखते हुए इस दिन श्री योग वेदांत समिति द्वारा मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन किया जाता है ताकि हमारे बच्चे हमारी संस्कृति को समझें व जानें।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सभी धर्मों को बड़ा आदर-सत्कार दिया जाता है लेकिन इस विदेशी कुरीति वेलेंटाइन-डे को समाप्त करने के लिए समिति सदस्य पूरे फरवरी माह में विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को इस दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि माता-पिता के चरणों में ही सुख की अनुभूति है। इसलिए प्रतिदिन हमें उनसे आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। इससे हमारे जीवन में कभी भी असफलता नहीं आएगी। उस के उपरांत समिति सदस्यों ने पार्क में उपस्थित बच्चों से विधिवत रूप से बच्चों से माता-पिता की पूजा करवाई, साधक फतेहचंद छाबड़ा व अन्य साधकों ने बच्चों के लिए थालियां सजाई। कार्यक्रम का आयोजन जयप्रकाश कोशिश के सानिध्य में हुआ।
इस अवसर पर ओ.पी.चौधरी, यश पाल टींकू, जे.पी. कोशिश, नंद लाल पाहवा वजीरचंद वधवा, कृष्ण शर्मा खेदड़, विद्याधर हुड्डा, उदय वीर, तारा सिंह, प्रवीण सुखीजा, फतेहचंद छाबड़ा, ओपी सुखीजा, सर्वमित्र अनेजा, कृष्णा अनेजा आदि समिति सदस्यों ने दीप प्रज्ज्वलित कर आरती की।