आदमपुर,
ना बरसाती पानी के जलभराव की चिंता…और ना ही जलभराव से किसी प्रकार का भय… वो भोले के भक्त है-पहुंच गए दर्शन के लिए शिवालयों में।
सावन महीने के पहले सोमवार को शहर के शिवालयों में हर-हर महादेव, श्रीशिवाय नमस्तुभ्यं, जय शंकर की गूंज सुनाई दी। अल सुबह से ही श्रद्धालुओं की मंदिरों में खासी भीड़ रही। वहीं सीसवाल धाम के साथ कस्बे व गांवों के अन्य मंदिरों पर भी दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा है। पहले सोमवार को शिवलिंगों का दूध, जल से अभिषेक किया गया।
शिवलिंगों को पुष्प, बेल पत्र, आक, धतूरे से सजाकर महाआरती की गई। इस दौरान मंदिरों में घंटी, घडिय़ाल, शंख व झालर के बीच भोलेनाथ के उद्घोष से माहौल भक्तिमय बना रहा। पं. खजान शर्मा ने बताया कि सावन मास में एक महीने तक प्रत्येक शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलेगा। मंदिर में भोले के दर्शन करने के लिए सुबह पांच बजे से ही लंबी-लंबी लाइन दोपहर तक लगी रही।
इसके अलावा सावन महीने के पहले सोमवार को कई लोगों ने घर पर ही भगवान शिव का पूजन किया। पं.रामदत्त शर्मा ने कहा कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा से मनवांछित फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि इस महीने में भगवान भोले शंकर को दूध, दही, घी, मक्खन, गंगाजल, बेल पत्र, आक, धतूरा आदि चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इस माह में भगवान भोले नाथ की सच्चे मन से आराधना की जाए, तो उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है।
सावन में शिव अभिषेक का विशेष महत्व है। पंडितों के अनुसार पार्थिव शिवलिंग के पूजन से शिवजी का आशीर्वाद मिलता है। समुद्र मंथन में निकले विष का पान करने के बाद जलन को शांत करने शिवजी का जलाभिषेक किया गया था। यह विधि अपनाई जाती है। इसके साथ ही आंक व बेल पत्र चढ़ाने से अनिष्ट ग्रह की दशा भी शांत होती है। दूध में काले तिल से अभिषेक करने से चंद्र संबंधित कष्ट दूर होते हैं।