आदमपुर,
कई बार बड़ों की गलती उनकी आने वाली पीढ़ी को भुगतनी पड़ती है। ऐसा ही मामला आदमपुर के चूलि बागड़ियान से सामने आ रहा है। यहां के निवासी अशोक कुमार ने बताया कि आज से करीब 30/35 साल पहले मेरे चाचा गोपाल सिंह हुड्डा ने महाराष्ट्र की निर्मला नाम की महिला के साथ रहना शुरु कर दिया था। निर्मला कुछ दिनों तक ही गोपाल सिंह हुड्डा के साथ रही इसके बाद पैसे व जेवर लेकर भाग गई।
उनके चाचा गोपाल सिंह हुड्डा के दो और भाई मनफुल व कालूराम थे। गोपाल सिंह हुड्डा ने अपना जीवन कालूराम के साथ व्यतीत किया। इसी प्रकार मनफुल के भी कोई औलाद नहीं थी। वो भी उम्रभर कालूराम के साथ रहा। कालूराम की मौत काफी पहले हो गई। साल 2011 में कालूराम की पत्नी की भी मौत हो गई। आरोप है कि इसके बाद कालूराम के बच्चे नाबालिग होने का फायदा उठाते हुए परिवार के एक आदमी राजेंद्र ने जमीन हड़पने की नीयत बड़ी साजिश रच दी।
परिवार के उक्त शख्स ने एक नाबालिग लड़के गणेश बिठ्ठल को मनफूल का बेटा बनाकर पेश किया। उसने यहां पर फर्जी तरीके से दस्तावेज व अन्य कागजात तैयार करवाएं। अशोक कुमार का कहना है कि गणेश बिठ्ठल और मनफूल का कभी कोई सम्बंध ही नहीं रहा। निर्मला को उनका चाचा गोपाल सिंह लेकर आया था।
बाद में गणेश बिठ्ठल ने फर्जी कागजात के आधार पर स्वयं को गणेश पुत्र मनफूल निवासी चूलि बागड़ियान दिखाकर कोर्ट में केस करके कालूराम की जमीन खेवट नम्बर 594 तथा खसरा नम्बर 47//5/2/2 (0—1) 7/1 (0—9) 48//1/2 (0—9) 2/2 (0—4) में से एक तिहाई हिस्सा अपना नाम करवा लिया। जिस समय यह हिस्सा उसने फर्जी तरीके से अपने नाम करवाया कालूराम के बच्चे नाबालिग थे।। इसके चलते कालूराम के बेटों अशोक कुमार व विजय ने इसे कोर्ट में चलेंज कर दिया।
अशोक कुमार का कहना है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसी बीच गणेश बिठ्ठल ने इस जमीन को फर्जी दस्तावेज के आधार पर राजकुमार व रामप्यारी को बेच दिया। मामला कोर्ट में होने के चलते जमीन का इंतकाल नहीं हो पाया। इसके बाद भी राजकुमार और रामप्यारी ने इस जमीन पर बान—बिजाई का काम 9 अगस्त की रात्रि को शुरु कर दिया। यह कोर्ट की अवहेलना है। क्योंकि कोर्ट ने इस जमीन के इंतकाल को अभी राजकुमार और रामप्यारी के नाम पर नहीं किया है।
अब कालुराम के पुत्र अशोक ने आदमपुर थाने में शिकायत देकर राजकुमार और रामप्यारी को अपनी जमीन से बाहर करने की प्रार्थना की है। आदमपुर थाना प्रभारी का कहना है कि वे मामले में कोर्ट के कागजात देखकर ही अगली कार्रवाई करेंगे।