धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—122

जिस दुर्योधन के खिलाफ श्री कृष्ण ने आजीवन पांडवों का साथ दिया। उसकी मौत का कारण भी श्री कृष्ण की कूटनीति बनी, वो ही दुर्योधन रिश्ते में श्री कृष्ण का समधी भी था। श्री कृष्ण के पुत्र सांब ने दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा का अपहरण करके उससे विवाह किया था। क्योंकि लक्ष्मणा, सांब से विवाह करना चाहती थी लेकिन दुर्योधन खिलाफ था।

सांब को कौरवों ने बंदी भी बनाया था। तब श्री कृष्ण ने दुर्योधन को समझाया था कि हमारे मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन हमारे विचार हमारे बच्चों के भविष्य में बाधा नहीं बनने चाहिए। दो परिवारों के आपसी झगड़े में बच्चों के प्रेम की बलि ना चढ़ाई जाए। श्री कृष्ण ने लक्ष्मणा को पूरे सम्मान के साथ अपने यहां रखा। दुर्योधन से उनका मतभेद हमेशा रहा लेकिन उन्होंने उसका प्रभाव कभी लक्ष्मणा और सांब की गृहस्थी पर नहीं पड़ने दिया।

दुर्योधन की मौत के बाद भी लक्ष्मणा की गहस्थी सुखमय रही। इसका कारण सुसराल से मिला प्रेम और मान—सम्मान था। श्री कृष्ण की यह कथा हमें ज्ञान देती है कि बहु को बेटी की तरह मान—सम्मान दो तो शत्रु की बेटी भी एक योग्य और अच्छी बहु बन जाती है। इसके विपरीत यदि मित्र या रिश्तेदारी से बहु लेकर आते हो और प्रेम, मान—सम्मान से वंचित रखते हो तो याद रखना आपके घर में कलह रहेगा। वह कभी भी अच्छी बहु नहीं बन पाएगी। इसलिए माताओं, बहनों! बहुओं को सम्मान दो, वो तुम्हें एक सौ गुणा सम्मान वापिस लौटायेगी।

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Jeewan Aadhar Editor Desk