धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—139

महाभारत की कहानी में जुए की घटना के बाद पांडवों को वनवास हो गया। तब श्रीकृष्ण ने दूरदृष्टि दिखाते हुए अर्जुन को समझाया कि यह समय जाया करने के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के लिए तैयारी करने का है। उन्होंने सबको महादेव शिव, देवराज इंद्र और देवी दुर्गा की तपस्या करने के लिए कहा।

श्रीकृष्ण जानते थे कि दुर्योधन को कितना भी समझाया जाए, वह पांडवों को कभी उनका राज्य नहीं लौटाएगा। तब अपना हक़ पाने के लिए शक्ति और सामर्थ्य की ज़रूरत होगी। कर्ण के कुंडल कवच पांडवों की जीत में आड़े आएंगे, यह भी वे जानते थे। उन्होंने हर चीज़ पर बहुत दूरगामी सोच रखी। कोई भी फैसला तात्कालिक आवेश में नहीं लिया। हर चीज़ के लिए आने वाली पीढ़ियों तक का सोचा। यही सोच राष्ट्र और समाज का निर्माण करती है।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जीवन में कुछ गलत निर्णय हो जाते है। उसका विपरीत परिणाम भी हमें भुगतना पड़ता है। लेकिन उस विपरीत समय में हमें आवेश में आने के स्थान पर दूरगामी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। पांडवों ने जुए में सब कुछ दांव पर लगाकर सबसे बड़ी गलती की। उससे भी ज्यादा गलत निर्णय द्रोपदी को दांव पर लगाना था। इस सबके बावजूद उन्होंने श्रीकृष्ण की सलाह पर जीवन को आगे बढ़ाया। दूरगामी सोच के साथ आगे बढ़े तो जो खोया था, उसे अंत में वापिस प्राप्त कर लिया। इसलिए विपरीत समय में नेगटिव सोचने के स्थान पर आने वाले सुनहरे कल के बारे में पॉजिटिव सोच बनाकर आगे बढ़े।

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Jeewan Aadhar Editor Desk