धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद महाराज जी के प्रवचनों से—248

पुराने समय में एक राजा युद्ध में हार गया था। उसके सभी सैनिक मारे जा चुके थे। राजा किसी तरह अपनी जान बचाकर जंगल में भाग गया। सैनिक उसका पीछा कर रहे थे। वह बचने के लिए एक गुफा में छिप गया।

सैनिक राजा को जंगल में खोजते-खोजते उस गुफा तक पहुंच गए। गुफा के अंदर राजा को ढूंढा, लेकिन सैनिक उसे ढूंढ नहीं सके। बाहर आकर सैनिकों ने बड़े-बड़े पत्थरों से गुफा बंद कर दी।

गुफा बहुत गहरी थी। अंदर की ओर राजा छिपा हुआ था। वह काफी थक चुका था। भूख-प्यास की वजह से बेहाल हो रहा था। उसके शरीर में ताकत भी नहीं बची थी।

शत्रु सैनिक गुफा बंद करके वहां से चले गए तो राजा अंदर बैठा-बैठा सोच रहा था कि अब तो उसका जीवन खत्म हो गया। वह गुफा से कभी बाहर नहीं निकल पाएगा।

राजा निराश हो चुका था। तभी उसे मां की एक बात याद आई। उसकी मां कहती थी कि कुछ तो कर, यूं ही मत मर। ये बात याद आते ही राजा में फिर से ऊर्जा आ गई। उसने सोचा कि कोशिश किए बिना हार नहीं मानना चाहिए।

राजा गुफा के द्वार से पत्थरों को हटाने का काम शुरू कर दिया। कड़ी मेहनत के बाद राजा ने बड़े-बड़े पत्थर खिसका दिए। किसी तरह राजा ने बाहर निकलने की थोड़ी सी जगह बना ली थी। राजा गुफा से बाहर निकला और अपने मित्र राजा के पास पहुंच गया। मित्र राजाओं की मदद से उसने शत्रुओं को पराजित कर दिया और अपना राज्य वापस प्राप्त कर लिया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जो लोग सफलता पाना चाहते हैं, उन्हें अंतिम पल तक हिम्मत नहीं हारना चाहिए। जिस पल हम हार मान लेते हैं, उसी समय हम असफल हो जाते हैं। हमें सफलता मिलने तक हार नहीं मानना चाहिए। जिस पल हम हार मान लेते हैं, उसी समय असफल हो जाते हैं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk