धर्म

संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—252

एक ज्ञानी नाव में बैठकर नदी पार करते वक्त नाविक से अपना ज्ञान बखान कर रहा था । ज्ञानी नाविक से कह रहा था कि तुमनें पढ़ा नही, अनपढ़ हो इसलिए तुम्हारा चौथाई जीवन बेकार हो गया। तुम्हें अमुक बात का ज्ञान नही इसलिए आधा जीवन बेकार हो गया, तुम्हें अमुक बात का भी भान नही इसलिए पौना जीवन बेकार हो गया । इतने मे भयंकर वर्षा होने लगी, वर्षा का जल नाव में भर गया और नदी में भी भयंकर उफान उठा।

अब तक नाविक चुप बैठा था और सुन रहा था। अब नाविक के बोलने की बारी थी, उसने ज्ञानी से पूछा कि आपको तैरने का ज्ञान है क्या ? ज्ञानी ने कहा – नही, तो नाविक बोला – अब तो आपका पूरा जीवन ही बेकार हो गया। यह कह कर नाविक डूबती नाव से तैर कर अपनी जान बचाने के लिए कूद पड़ा । ज्ञानी को तैरना नही आता था इसलिए नाव के साथ ही डूब गया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, किताबों से ज्ञान तो आ सकता है लेकिन व्यवहार नहीं। यदि ज्ञानी व्यक्ति व्यवहारिक होता तो नाविक उसे भी बचाने की कोशिश करता लेकिन ज्ञानी आदमी ने अपनी बातों से उसे नीचा दिखाने का प्रयास किया। इसलिए उसे डूबकर मरना पड़ा। इसलिए व्यक्ति को ज्ञानी होने के साथ व्यवहारिक भी होना चाहिए।

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