धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—282

एक राजा के राज्य पर शत्रु सैनिकों ने हमला कर दिया। शत्रु सैनिक काफी अधिक थे। इस वजह से राजा की सेना जल्दी ही हिम्मत हार गई। राजा को शत्रु के सैनिकों ने घेर लिया था। किसी तरह राजा शत्रुओं के घेरे को भेदकर जंगल की ओर भाग निकला।

राजा शत्रुओं से बचने के लिए एक गुफा में जाकर छिप गया। राजा को खोजते हुए शत्रु सैनिक वहां पहुंच गए। सैनिकों ने गुफा का द्वार बड़े-बड़े पत्थरों से बंद कर दिया।

गुफा के अंदर राजा थका हुआ था। भूख-प्यास की वजह से वह बेहाल हो रहा था। उसके शरीर में शक्ति नहीं बची थी। जब शत्रु सैनिक गुफा का द्वार बंद करके वहां से चले गए तो राजा अंदर बैठा-बैठा सोच रहा था कि अब तो उसका जीवन खत्म हो गया। वह गुफा से कभी बाहर नहीं निकल पाएगा।

राजा निराशा में डूब चुका था, तभी उसे उसकी मां की एक बात याद आई। राजा की मां कहती थी कि कुछ तो कर, यूं ही मत मर। ये बात याद आते ही राजा में फिर से ऊर्जा आ गई। उसने सोचा कि कोशिश किए बिना हार नहीं मानना चाहिए।

राजा गुफा के द्वार से पत्थरों को हटाने का काम शुरू कर दिया। कड़ी मेहनत के बाद राजा ने बड़े-बड़े पत्थर खिसका दिए। किसी तरह राजा ने बाहर निकलने की थोड़ी सी जगह बना ली थी। राजा गुफा से बाहर निकला और अपने मित्र राजा के पास पहुंच गया। मित्र राजाओं की मदद से उसने शत्रुओं को पराजित कर दिया और अपना राज्य वापस प्राप्त कर लिया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें अंतिम पल तक हार नहीं माननी चाहिए। जब तक सफलता न मिल जाए कोशिश करते रहना चाहिए। जो लोग इस बात का ध्यान रखते हैं, उन्हें देर से ही सही, लेकिन सफलता जरूर मिलती है। सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है जो बार-बार प्रयास करते हैं। जिस पल हम हिम्मत हार जाते हैं, उसी समय हमारी असफलता तय हो जाती है। जब सब कुछ हो जाए, तब भी हमें एक बार फिर से पूरी शक्ति के साथ प्रयास करना चाहिए।

Related posts

स्वामी राजदास : ध्रुव

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—504

ओशो : अंधेरे से मत लड़ो,दीए को जलाओं