धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—300

एक लड़का प्रसिद्ध संत के पास गया और बोला कि महाराज मुझे कम समय में सबसे आगे पहुंचना चाहता था, मैं नीचे शुरू नहीं करना चाहता, मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे कि मैं सीधे मेरे लक्ष्य पर पहुंच जाऊं।

संत ने कहा कि ठीक है मैं तुम्हें उपाय बता दूंगा, लेकिन पहले मेरा एक काम कर दो। मेरे बाग में से सबसे सुंदर फूल तोड़कर ले आओ, लेकिन ध्यान रखना एक बार आगे निकल जाओ तो पीछे पलट कर फूल नहीं तोड़ना है।

लड़का बोला कि मैं अभी ले आता हूं, ये तो छोटा सा काम है। वह व्यक्ति संत के बाग में गया तो उसे पहला ही फूल बहुत सुंदर लगा, लेकिन उसने सोचा कि आगे इससे भी अच्छे फूल होंगे। लड़का आगे बढ़ा, उसे एक से बढ़कर एक सुंदर फूल दिख रहे थे, लेकिन वह अच्छे से अच्छा फूल देखने के लिए आगे बढ़ता रहा। जब वह बाग के अंत में पहुंचा तो वहां मुरझाए हुए और बेजान फूल थे। ये देखकर लड़का निराश हो गया और खाली हाथ ही संत के पास पहुंच गया।

संत ने उससे पूछा कि तुम गुलाब लेकर नहीं आए, खाली हाथ क्यों आ गए। लड़के ने कहा कि महाराज में बाग में फूल तो बहुत अच्छे-अच्छे थे, लेकिन मैं सबसे सुंदर फूल की चाहत में आगे बढ़ता रहा। अंत में सभी फूल मुरझाए हुए थे, इस वजह से मैं खाली हाथ आ गया।

संत ने उसे समझाते हुए कहा कि हमारे जीवन में भी ऐसा ही होता है। इसीलिए प्रारंभ से काम करना शुरू कर देना चाहिए। जैसे ही कोई अवसर मिले, उसका उपयोग कर लेना चाहिए। ज्यादा अच्छे अवसर के चक्कर में हाथ आए अवसर को नहीं छोड़ना चाहिए। वरना अंत में खाली हाथ लौटना पड़ता है।

Related posts

ओशो : जीवन का प्रेम

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—306

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : सुख—शान्ति