धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—311

एक राजा ने मंत्री को आदेश दिया कि राज्य के बूढ़े लोगों को खत्म कर दो, ये हमारे किसी काम के नहीं है, इनकी बीमारी पर हमारा पैसा बर्बाद होता है, इस आदेश के बाद सभी बूढ़े लोग राज्य छोड़कर जाने लगे।

कुछ ही दिनों के बाद उस राज्य में अकाल पड़ गया। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि अब प्रजा के खाने की व्यवस्था कैसे की जाए, उन दिनों भीषण गर्मी भी पड़ रही थी। गरीब लड़के ने अपने बूढ़े पिता से अकाल से निपटने का उपाय पूछा। उसके पिता ने कहा कि राज्य से कुछ ही दूर ही हिमालय स्थित था। गर्मी से हिमालय की बर्फ पिघलने लगेगी और वह पानी उस राज्य की ओर बहता हुआ आएगा। वह पानी यहां आए इससे पहले तुम एक काम करो राज्य के मार्ग पर दोनों तरफ हल चला दो।

लड़के राज्य के लोगों को ये उपाय बताया, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी। लड़के ने अकेले ही रास्ते पर दोनों तरफ हल चला दिया। जल्दी ही हिमालय का पानी राज्य के रास्ते पर आ गया। कुछ ही दिनों में राज्य की सड़कों पर अनाज के पौधे उग आए। जब ये बात राजा को मालूम हुई तो उस गरीब लड़के को दरबार में बुलवाया गया। राजा ने लड़के से पूछा कि ये अनाज उगाने का ये तरीका तुम्हें किसने बताया?

लड़के ने कहा कि महाराज ये उपाय मेरे पिता ने बताया था। आपने जब बूढ़ों को मारने का आदेश दिया था तो मैंने उन्हें अपने घर में छिपा लिया था। ये सुनकर राजा ने उस बूढ़े व्यक्ति को भी दरबार में बुलवाया। बूढ़े व्यक्ति ने राजा से कहा कि महाराज हमारे राज्य से लोग अपने खेतों से अनाज अपने घर ले जाते थे और कुछ लोग दूसरे राज्य अनाज बेचने जाते थे तो अनाज के कुछ दाने रास्ते के दोनों और गिर जाते थे। जब मेरे बेटे ने रास्ते की दोनों तरफ हल चलाया और हिमालय का पिघला हुआ पानी वहां पहुंचा तो वो दाने अंकूरित हो गए और अनाज उग गया।

बूढ़े व्यक्ति की ये बात सुनकर राजा को अपने आदेश का बहुत पछतावा हुआ और राज्य से गए हुए सभी बूढ़े लोगों को वापस अपने राज्य में बुलवा लिया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, बूढ़े—बुजूर्ग हमारे पास अनुभव और ज्ञान की विरासत होते हैं। इन्हें सदा अपने साथ रखना चाहिए। ये हमें जीवन की प्रत्येक समस्या से बड़ी सरलता से बाहर निकाल लेते हैं।

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